डेस्क। हिंदी सिनेमा के मशहूर और दिग्गज अभिनेता अशोक कुमार किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। आज भले ही अभिनेता हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी अदाकारी आज भी लोगों के जहन में जिंदा है। 40 और 50 के दशक में अपने अभिनय से लोगों का दिल जीतने वाले अशोक कुमार दादा मुनि के नाम से मशहूर थे। 13 अक्तूबर 1911 को भागलपुर में जन्मे अशोक कुमार का असली नाम कुमुदलाल गांगुली था। लेकिन जब वह बड़े पर्दे पर आए तो उनका नाम अशोक कुमार पड़ गया और वह बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार कहे जाने लगे। आज अभिनेता के जन्मदिवस के मौके पर हम आपके उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं।
अपने करियर में करीब 300 से ज्यादा फिल्में करने वाले अशोक कुमार की पहचान एंटी हीरो के रूप में हुई थी। उन्होंने ‘किस्मत’ में एंटी हीरो का किरदार निभाया था, जिसे कोलकाता के चित्रा सिनेमा हॉल में लगातार 196 हफ्तों तक चलाने का रिकॉर्ड था। वहीं, 1936 में बाम्बे टॉकीज की फिल्म ‘जीवन नैया’ से उन्होंने बड़े पर्दे पर कदम रखा था। इस फिल्म में उनके अभिनय को काफी सराहा गया था, लेकिन इस किरदार को मिलने के पीछे एक दिलचस्प किस्सा है।
दरअसल, 1994 में न्यू थिएटर में बतौर लैब असिस्टेंट काम कर रहे अशोक कुमार को बॉम्बे टॉकीज में काम कर रहे उनके बहनोई ने अपने पास बुला लिया। 1936 में बॉम्बे टॉकीज की फिल्म ‘जीवन नैया’ के निर्माण के दौरान मुख्य अभिनेता बीमार पड़ गए, जिसके बाद बॉम्बे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय ने अशोक कुमार को देखा और उनसे फिल्म में काम करने की गुजारिश की। इस तरह से अशोक कुमार को अपना पहला ब्रेक मिला और इसके बाद उन्होंने ‘कंगन’, ‘बंधन’, ‘झूला’ जैसे कई फिल्मों में काम किया और बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार बन गए। इतना ही नहीं अभिनेता ने दूरदर्शन के कई धारावाहिकों में काम कर घर-घर में अपना पहचान बना ली थी।
अशोक कुमार किशोर कुमार के बड़े भाई थे। अभिनेता ने अपने छोटे भाई के चलते ही अपना जन्मदिन मनाना भी छोड़ दिया था। दरअसल, किशोर कुमार का निधन अभिनेता के 76वें जन्मदिन के दिन हुआ था। ऐसे में अपने भाई की डेथ एनिवर्सरी के दिन अशोक कुमार ने अपना जन्मदिन मनाना छोड़ दिया था। किशोर कुमार का निधन हार्ट अटौक के चलते हुआ था। वहीं, बता दें कि दिग्गज अभिनेता एक्टिंग के अलावा पेंटर और होमियोपैथी की प्रैक्टिस भी किया करते थे।
अशोक कुमार को कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। 1968 में आई फिल्म ‘आशीर्वाद’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ण अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। वहीं, 1988 में उन्हें दादा साहेब फाल्के और 1998 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा अशोक कुमार संगीत नाटक अकादमी, फिल्मफेयर का सम्मान भी प्राप्त हुआ था। बता दें कि 10 सितंबर 2001 को अभिनेता का निधन हो गया था। वहीं, भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था।
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