जयपुर: राजस्थान में उपजे राजनीतिक संकट (Rajasthan political crisis) पर अब सीएम अशोक गहलोत ने सवाल उठाए हैं. गांधी जयंती के मौके पर अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कहा कि उन पर आया संकट विफल कर दिया है. गहलोत ने सवाल उठाते हुए कहा कि लेकिन इस पर रिसर्च की जरूरत है कि राजस्थान में आखिर यह स्थिति क्यों बनी? राजनीतिक संकट पर अशोक गहलोत ने कहा कि वे अपना काम कर रहे हैं.
आगे फैसला आलाकमान को करना है. बकौल गहलोत मैंने सोनिया गांधी से कहा कि 50 साल में पहली बार मैंने देखा कि हम एक लाइन का प्रस्ताव पारित नहीं करवा पाए. जबकि वह हमारी ड्यूटी थी, लेकिन यहां पर यह स्थिति क्यों बनी? इस पर रिसर्च की जरूरत है.
गहलोत ने कहा कि यह नौबत क्यों आई कि यहां के विधायक मेरी बात मानने को ही तैयार नहीं थे? स्पीकर के पास इस्तीफा देकर आ गए! शायद उन्हें डर था कि अब मैं दिल्ली जा रहा हूं तो हमें किसके भरोसे छोड़ कर जा रहे हैं? इस दौरान गहलोत ने कहा कि बीजेपी आगे भी सरकार को डिस्टर्ब करने की कोशिश करेगी लेकिन प्रदेशवासियों का सहयोग उनके साथ है. तभी वे बार-बार कहते हैं कि वे उनसे दूर कैसे हो सकते हैं.
खड़गे अनुभवी उन्हें थरूर से कंपेयर नहीं कर सकते
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष के पद के लिए खड़गे को बेहद अनुभवी बताते हुए कहा कि शशि थरूर से उनकी तुलना नहीं ही नहीं सकती. शशि थरूर भी अच्छे हैं लेकिन एलिट क्लास के हैं. संगठन का अनुभव खड़गे के साथ है जो कि थरूर के साथ कंपेयर हो ही नहीं सकता. पीसीसी के डेलिगेट्स भी खड़गे से अपने आप को कनेक्ट करेंगे क्योंकि वे भी संगठन को समझते हैं.
अध्यक्ष बनता तो 102 विधायक के साथ नाइंसाफी होती
इस दौरान गहलोत ने दो साल पहले सरकार पर आए संकट को याद करते हुए कहा कि मैं उन 102 विधायकों का साथ नहीं छोडूंगा जिन्होंने संकट के समय सरकार बचाने में सहयोग दिया था. उन्होंने कि कहा कि वे अगर कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते तो यह 102 विधायक के साथ नाइंसाफी होती. मीडिया से रूबरू होते हुए गहलोत ने बीजेपी पर भी फिर से हमला बोला और हॉर्स ट्रेडिंग का बड़ा आरोप लगाया.
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