नई दिल्ली (New Delhi) । फिनटेक फर्म भारतपे के को-फाउंडर अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक (पीपीबीएल) (Paytm Payments Bank) के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की आलोचना की है। एक इंटरव्यू में अशनीर ग्रोवर ने कहा कि इस कार्रवाई के जरिए यह मैसेज दिया जा रहा है कि बैंक महत्वपूर्ण हैं, लेकिन फिनटेक नहीं। उन्होंने कहा कि भारत में स्ट्रक्चरल रूप से हम बड़े स्टार्टअप के लिए तैयार नहीं हैं। पिछले 10 से 12 वर्षों में भारत में स्टार्टअप व्यवस्थित रूप से उभरे हैं। सरकार में लोग स्टार्टअप्स के फाउंडर के साथ तस्वीरें खिंचवाने के लिए उत्सुक हैं लेकिन कानून के संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया गया है।
जीडीपी बढ़ाने में अहम भूमिका
अशनीर ने कहा-हमारे पास 111 यूनिकॉर्न हैं लेकिन उनमें से किसी को भी अर्थव्यवस्था के लिए व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है, लेकिन इन स्टार्टअप्स ने 6-7.5 प्रतिशत जीडीपी विकास दर को आगे बढ़ाया है। इसका हम जश्न मनाते हैं। हम इसके जरिए भारत में एफडीआई लाए हैं और अधिकतम संख्या में नौकरियां पैदा की हैं।
फिनटेक की जनक है पेटीएम
अशनीर ग्रोवर ने भारत के फिनटेक आउटलुक में पेटीएम की अग्रणी भूमिका को स्वीकार करते हुए कहा कि कंपनी भारतपे सहित अलग-अलग फिनटेक वेंचर के लिए बेस है। अशनीर ने कहा कि हम भारतपे के संस्थापक हैं, कंपनी का अस्तित्व पेटीएम के कारण है। पेटीएम भारत में सभी फिनटेक का जनक है। यदि इसका अस्तित्व नहीं होता तो भारतपे का अस्तित्व भी नहीं होता। पेटीएम ने भारत में कैश फ्लो में मदद करने के लिए एक क्यूआर कोड को स्कैन करने के व्यवहार को सहज बनाया।
आरबीआई के रुख की आलोचना की
आरबीआई के रुख की आलोचना करते हुए ग्रोवर ने तर्क दिया कि सजा गंभीर है। उन्होंने इस फैसले के लिए युवाओं में विश्वास की कमी को जिम्मेदार ठहराया। अशनीर ग्रोवर ने कहा- केंद्रीय रिजर्व बैंक में निर्णय लेने वाले जिम्मेदार व्यक्ति आमतौर पर लगभग 60 वर्ष के होते हैं। उनके पास बैंकों की सिस्टम का प्रबंधन करने का अनुभव होता है लेकिन 40 वर्षीय व्यक्ति के प्रति संदेह होता है।
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