हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या का विशेष महत्व (special importance) होता है। हिंदू मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या (new moon) कहलाती है। अमावस्या का दिन विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले तर्पण और स्नान-दान के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन व्रत भी रखा जाता है। आषाढ़ मास (ashadh month) हिंदू पंचांग के अनुसार चौथा महीना है। इस माह की अमावस्या 9 जुलाई (शुक्रवार) को पड़ रही है। इस दिन पूजा-पाठ करना अच्छा माना जाता है। आइए जानते हैं आषाढ़ माह की अमावस्या (Ashadh Amavasya) की तिथि, शुभ मुहुर्त और व्रत के बारे में।
आषाढ़ अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त
आषाढ़ मास का प्रारंभ हिंदू पंचांग के अनुसार 25 जून को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को हुआ था। इस माह की अमावस्या तिथि कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन यानी 9 जुलाई (शुक्रवार) को पड़ रही है। अमास्या तिथि 9 जुलाई को सुबह 5 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 10 जुलाई को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। अमावस्या का व्रत नियमानुसार 09 जुलाई को रखा जाएगा और व्रत का पारण 10 जुलाई को होगा।
आषाढ़ अमावस्या पर व्रत और तर्पण
हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि पर विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत और तर्पण किया जाता है। आषाढ़ मास के अंत से बरसात का मौसम शुरू होता है और इस माह में चतुर्मास की भी शुरूआत होती है। इसलिए आषाढ़ की अमावस्या पर तर्पण और व्रत का विशेष विधान है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। इस दिन पितरों को तर्पण अर्पित करना चाहिए। इसके तपश्चात दिन भर फलाहार करते हुए व्रत रखना चाहिए। वहीं इस दिन गरीबों को दान करना शुभ माना जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाकर पितरों को स्मरण किया जाता है।
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