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    तांगावाले से ‘बापू’ बनने तक इस प्रकार खड़ा किया आसाराम ने अपना काला साम्राज्य

  • February 17, 2021

    नई दिल्ली। आसुमल थाउमल हरपलानी उर्फ आसाराम नाबालिग लड़की से रेप के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। रेप मामले में दोषी करार दिया गया आसाराम नरबलि, हत्या जैसे कई गंभीर मामलों का आरोपी है। एक समय था जब इस शख्स के दरबार में बड़ी-बड़ी हस्तियां हाजिरी लगाती थीं। लाखों की तादाद में इसके अनुयायी हैं। लेकिन 2013 में रेप के मामले में फंसने के बाद आसाराम के बुरे दिन शुरू हो गए थे। आइए जानते हैं आसुमल के आसाराम बनने की कहानी। कैसे एक केस ने आसाराम को अर्श से फर्श पर ला दिया।

    साइकिल रिपेयरिंग से लेकर तांगा तक चलाया : पाकिस्तान के सिंध प्रांत का एक शरणार्थी लड़का विभाजन के बाद गुजरात के अहमदाबाद पहुंचा। शुरुआत में उसने साइकिल की दुकान में मरम्मत से लेकर तांगा चलाने तक कई काम किए। लेकिन ये लड़का देखते ही देखते आसुमल से आसाराम बन गया। आसाराम ने अपनी बायोग्राफी में तीसरी क्‍लास तक पढ़ाई करने की बात कही है।


    सिंधी संत का अनुयायी बनने की कोशिश : आसाराम के एक दोस्त के मुताबिक, उसने किशोर उम्र में कच्छ के बड़े सिंधी संत लीला शाह बाबा का अनुयायी बनने की कोशिश की थी। लेकिन उसके जिद्दी और मनमौजी रंग-ढंग को देखते हुए संत ने उसे कभी स्वीकार नहीं किया। मगर यह सच्चाई कभी सार्वजनिक तौर पर सामने नहीं आई। जल्दी ही आसुमल ने अपना नया नाम आसाराम बापू रखकर संन्यासी का सफेद चोला धारण कर लिया। उसके आसपास लोग जुटने लगे। 70 के दशक में आसाराम ने अहमदाबाद शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर एक कस्बे अपना पहला आश्रम शुरू किया। इस तरह धीरे-धीरे उसका साम्राज्य बढ़ने लगा।

    2300 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति : जून 2016 में आयकर विभाग ने आसाराम की 2300 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति उजागर की थी। उस वक्त मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आसाराम के तकरीबन 400 आश्रम दुनिया भर में मौजूद थे। आसाराम के इन आश्रमों में से कुछ उसके साधकों ने उनके असली मालिकों से जोर-जबरदस्ती या ब्लैकमेल करके हड़पे थे। जबकि कई आश्रमों का भूमि विवाद चल रहा है। आसाराम के बहुत-से आश्रमों की जमीन अदालती मुकदमों में उलझी हुई है, क्योंकि उनके असली मालिक अब अपनी जमीन वापस हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। कई लोग तो अपनी जायदाद से हाथ धो बैठे हैं।

    कैसे होती थी कमाई : आध्यात्मिकता और जनसेवा पर आसाराम की कुछ पत्रिकाएं हर साल उसे करोड़ों का मुनाफा देती थीं। तकरीबन दो दर्जन उत्पादों की बिक्री से भी करोड़ों रुपए आते थे। जिनमें कई किस्म की आयुर्वेदिक दवाइयां, गौमूत्र, साबुन, शैंपू और अगरबत्तियां वगैरह शामिल थीं। इस साम्राज्य का नियंत्रण तकरीबन 400 ट्रस्टों के हाथ में था। एक और अहम बात यह थी कि हर साल वह गुरु पूर्णिमा पर गुरु दक्षिणा कार्यक्रम के जरिए पैसा जमा करता था। इस दिन लाखों लोग आते और दक्षिणा में मोटी रकम भेंट करते। वह कई दूसरे तरीकों से भी लोगों से रुपए ऐंठता था।


    कथित नरबलि मामले से शुरू हुआ पतन : विवाद समय-समय पर आसाराम का पीछा करते रहते थे। लेकिन 1980 से 2008 में अपना पतन होने तक आसाराम ने बहुत अच्छे दिन देखे। उसका पतन तब शुरू हुआ जब अहमदाबाद में उसके आश्रम के स्कूल के दो छात्रों की लाश साबरमती नदी से बरामद हुई। आरोप लगे कि आसाराम तांत्रिक है, जिसने तांत्रिक अनुष्ठान के मकसद से इन दोनों छात्रों को मरवाया है। आरोप तो साबित नहीं हुए पर आसाराम का पतन जरूर शुरू हो गया। उस वक्त की नरेंद्र मोदी सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एक आयोग गठित किया।

    ऐसे ढहा आसाराम का साम्राज्य : आसाराम के पतन की सबसे अहम कड़ी अगस्त 2013 में शुरू हुई। जब यूपी की रहने वाली एक नाबालिग लड़की ने अपने परिजनों के साथ दिल्ली पुलिस को बताया कि आसाराम ने जोधपुर के अपने आश्रम में उसका शारीरिक शोषण किया। 20 अगस्त, 2013 को लड़की का मेडिकल कराया जाता है। जिसके बाद आसाराम पर नाबालिग से रेप करने का मामला दर्ज हुआ। दिल्ली पुलिस ने जीरो एफआइआर दर्ज की और केस को जोधपुर ट्रांसफर कर दिया। 2 सितंबर, 2013 को आसाराम की मेडिकल जांच कराई जाती है, जिसमें साबित होता है कि वो सेक्स करने में सक्षम है।

    7 अप्रैल, 2018 को एससी-एसटी विशेष अदालत में जिरह पूरी होती है। 25 अप्रैल, 2018 को आसाराम को नाबालिग से रेप का दोषी करार दिया जाता है। अदालत से आसाराम को आजीवन कारावास की सज़ा मिली। स केस के ट्रायल के दौरान 10 से ज्यादा प्रत्यक्षदर्शियों पर हमले हुए। उनमें से तीन की जान भी चली गई। एक की तो जोधपुर की अदालत में छुरा घोंपकर हत्या कर दी गई थी। लेकिन इन मामलों का सीधा-सीधा कोई जुड़ाव आसाराम से था, इसके कोई सबूत नहीं मिले।

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