जोधपुर. नाबालिग (minor) से दुष्कर्म के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल (Jodhpur Central Jail) में आजीवन कारावास (life imprisonment) की सजा काट रहे आसाराम (Asaram) की तबीयत उम्र के साथ अब नासाज रहने लगी है. ऐसे में आसाराम को इस साल अगस्त में इलाज के लिए 7 दिनों की पैरोल (parole) मिली थी. उसने महाराष्ट्र के माधोबाग आयुर्वेद अस्पताल में अपना उपचार करवाया था. बाद में उसकी पैराल 5 दिन बढ़ा दी गई थी. लेकिन लंबे समय तक उसे वहां नहीं रखा जा सकता था, इसलिए वापस जोधपुर जेल ले आया गया.
इसके बाद आसाराम की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर बेंच में एक अर्जी दाखिल करके इलाज के लिए लंबे पैरोल की मांग की गई थी. जोधपुर हाई कोर्ट ने निजी आयुर्वेद अस्पताल में उपचार कराने के लिए गत 7 नवंबर को उसकी 30 दिन की पैराल मंजूर कर दी थी. आज जोधपुर सेंट्रल जेल से पुलिस कस्टडी में आसाराम को निजी अस्पताल भेज दिया गया, जहां आयुर्वेद पद्धति से 30 दिन तक उसका उपचार चलेगा.
तीन दिन पहले भी आसाराम को जोधपुर एम्स भेजकर चिकित्सीय जांच करवाई गई थी. अब वह निजी अस्पताल में अपना इलाज करवा रहा है, जिसका पूरा खर्च भी उसे ही वहन करना होगा. राजस्थान हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत माथुर की खंडपीठ ने इलाज के आसाराम की 30 दिन की पैराल मंजूर की. आसाराम को 11 साल में यह दूसरी बार इलाज के लिए पैरोल मिली है.
हालांकि उसके वकील यशपाल राजपुरोहित ने हाई कोर्ट से मांग की थी कि आसाराम को तब तक पैराल मिले, जब तक उसे इलाज की आवश्यकता हो. लेकिन सरकारी अधिवक्ता दीपक चौधरी ने इसका विरोध किया और सिर्फ 30 दिन पैरोल देने की मांग अदालत से की. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने 30 दिन की पैरोल मंजूर की. बता दें कि आसाराम 2013 से ही जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है. उसे नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में 2 सितंबर, 2013 को इंदौर से गिरफ्तार किया गया था. जोधपुर की निचली अदालत ने उसे अप्रैल 2018 में इस केस में दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
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