इंदौर, विकाससिंह राठौर। शहर में बारिश का दौर थमते ही यहां की आबोहवा बिगडऩे लगी है। मानसून की विदाई के साथ ही शहर में वायु प्रदूषण में फिर बढ़ोतरी हो रही है। पिछले 21 दिनों से शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगातार 100 अंकों के ऊपर बना हुआ है। ठंड बढऩे पर इसमें और भी बढ़ोतरी के आसार हैं। प्रदूषण बढऩे के साथ ही शहर में सांस संबंधी बीमारियों के मरीज भी बढऩे लगे हैं।
शहर में बढ़ते प्रदूषण का खुलासा खुद मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शहर के मध्य में रीगल सर्कल पर लगे मॉनिटरिंग स्टेशन के आंकड़ों से हुआ है। हर पल हवा में मौजूद धूल कणों से लेकर गैसों को मॉनिटर किया जाता है। इसके आधार पर पूरे दिन का औसत एक्यूआई निकाला जाता है। इसकी रिपोर्ट देखें तो सामने आता है कि 29 सितंबर से यानि पिछले 21 दिनों से लगातार शहर का एक्यूआई लगातार 100 अंकों के ऊपर बना हुआ है।
बारिश के दौरान 50 से भी नीचे रहा है प्रदूषण का स्तर
एक ओर जहां बारिश के बाद प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी नजर आ रही है, वहीं बारिश के दौरान वायु प्रदूषण में काफी कमी भी दर्ज की गई थी। बारिश के दौरान ज्यादातर समय एक्यूआई 100 अंकों से नीच रहता था और कई बार यह 50 अंकों से भी कम रहा है, जिसे काफी अच्छा माना जाता है। सितंबर की ही बात करें तो 30 में से 6 दिन यह 100 से ज्यादा रहा, बाकी 24 दिन यह 100 अंकों से नीचे रहा। इनमें से दो दिन यह 50 अंकों से भी कम पर दर्ज किया गया है, जबकि अक्टूबर की शुरुआत में 1 अक्टूबर को ही एक्यूआई 180 अंकों पर पहुंचा था। यह दिन का औसत था, जबकि अधिकतम स्तर तो कई बार 200 अंकों से भी आगे निकला है।
मौसम बदलने और हवा कमजोर होने से बढ़ रहा प्रदूषण
मौसम बदलने से और हवा के कमजोर होने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। बारिश के दौरान हवा में नमी से यह कम हो जाता है, जबकि ठंड के दौरान मौसम शुष्क होने और हवा की गति काफी कम हो जाने से प्रदूषण का स्तर बढऩे लगता। इस समय शहर में कई स्थानों पर खुदाई भी चल रही है, इसके कारण भी प्रदूषण का स्तर ज्यादा आ रहा है। ठंड बढऩे पर जब कोहरा छाने लगेगा तो हवा ऊपर नहीं जा पाएगी, जिससे इसमें और बढ़तरी हो सकती है।
-डॉ डीके वाघेला, पूर्व वैज्ञानिक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
बढऩे लगे सांस संबंधी मरीज
ठंड की शुरुआत होने के समय सांस संबंधी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। ऐसे में वायु प्रदूषण बढऩे से इनकी संख्या और तेजी से बढऩे लगी है। रोजाना कई मरीज सांस संबंधी बीमारियों जैसे सर्दी, खांसी और अस्थमा को लेकर अस्पतालों में आ रहे हैं। इस मौसम में हवा में नमी की कमी होने से वायु में प्रदूषण के धूल कण बढ़ जाते हैं , जो सांस की बीमारियों का प्रमुख कारण बनते हैं। इनसे बचने के लिए लोग मास्क का उपयोग करें और तकलीफ होने पर डॉक्टर से सलाह लें।
– डॉ रवि डोसी, वरिष्ठ श्वसन रोग विशेषज्ञ
ऐेसे समझे प्रदूषण के स्तर को
0 से 50 – अच्छा (गुड)
50 से 100 – संतोषजनक (सेटिस्फेक्टरी)
101 से 200 – मध्यम (मोडरेट)
201 से 300- खराब (पुअर)
301 से 400 – बहुत खराब (वेरी पुअर)
401 से 500 – अति गंभीर (सीवर)
(जानकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार)
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