उज्जैन। इन दिनों शहर में भीषण गर्मी पड़ रही है और पारा 45 डिग्री तक चढ़ा हुआ है। ऐसे में शिप्रा किनारे रामघाट क्षेत्र में तैराकी सीखने वालों की भीड़ उमड़ रही है। महाकाल दर्शन से पहले भी बाहर से श्रृध्दालु गर्मी में बड़ी संख्या में शिप्रा नदी में नहाने पहुंच रहे हैं। परंतु यहां नहाने वाले श्रृध्दालुओं और तैराकी सीखने वाले बच्चों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं।
शिप्रा तट पर गर्मी के दौरान नृसिंहघाट से लेकर रामघाट तथा दत्त अखाड़ा घाट क्षेत्र में बड़ी संख्या में शिप्रा स्नान के लिए लोग पहुंच रहे हैं। इनके अलावा तैराकी सीखने के लिए भी बच्चों और युवाओं के अलग-अलग दल आ रहे हैं। हालांकि तैराकी सीखने आने वाले संस्थाओं से जुड़े बच्चों और युवाओं की सुरक्षा के लिए मौके पर कोच और अन्य लोग मौजूद रहते हैं। परंतु अन्य सुरक्षा के यहां इंतजाम नहीं है। राणौजी की छत्री से श्रद्धालुओं के लिए चेतावनी प्रसारित करने की सुविधा के साथ पुलिस और होमगार्ड तैनात रहते हैं तथा श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए घाट पर पुलिस चौकी है, जहां से इन यात्रियों को बीच नदी में नहीं जाने की चेतावनी देने के लिए माइक व्यवस्था भी है तथा पुलिस जवान के साथ तीन शिफ्ट में 12 होमगार्ड जवान भी तैनात किए गए हैं जो तैराकी जानते हैं। इनकी जिम्मेदारी है कि वे घाट पर स्नान करने आए यात्रियों की सुरक्षा करें। यदि कोई डूबता है तो उसे बचाएं। इसके बावजूद भी कई बार नदी में नहाते वक्त डूबने से मौत के हादसे आये दिन होते रहते हैं। यह हादसे मुख्यत: रामघाट व आसपास, सिद्धाश्रम घाट, नृसिंहघाट, दत्त अखाड़ा घाट, गुरुनानक घाट पर सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। इसके पीछे कारण यह है कि माइक से चेतावनी की व्यवस्था केवल रामघाट व दत्त अखाड़ा घाट पर ही है। तैराक, होमगार्ड रामघाट पर ही रहते हैं, अन्य घाटों पर नहीं। स्नान करने वाले यात्रियों को लाइफ जैकेट जैसी सुविधा उपलब्ध नहीं है। यात्री को स्नान के लिए कहां तक जाना है, इसके निशान या रेलिंग की हद नहीं है। 10 फीट तक प्लेटफॉर्म, इसके बाद गहरी नदी आ जाती है।
रामघाट पर अधिक प्लेटफार्म, सुरक्षा नहीं
शिप्रा नदी में रामघाट पर 8 से 10 फीट तक नदी में स्नान के लिए प्लेटफार्म बने हैं। यहां सामान्य स्थिति में 3 फीट तक पानी रहता है। इस समय बाढ़ होने से 5 फीट तक पानी है। यहां स्नान करने वालों को कोई खतरा नहीं रहता। प्लेटफॉर्म के आगे नदी शुरू हो जाती है। बाढ़ नहीं होने पर यहां 5 से 10 तक गहराई है। बीच नदी में सामान्यत: 10 फीट तक पानी रहता है। वहीं बाढ़ के समय पानी की गहराई 15 फीट हो जाती है। फिर भी यहां सुरक्षा के इंतजाम नहीं है। गहरे पानी के संकेतक और रैलिंग नहीं होने से भी नदीं में डूबने का खतरा बना रहता है।
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