उज्जैन। उत्तरप्रदेश के कासगंज (Kasganj of Uttar Pradesh) के श्रीकृष्ण कुमार का मानसिक रूप से कमजोर बेटा (mentally handicapped son) करीब पांच महीने पहले लापता हो गया था। पुलिस में मिसिंग रिपोर्ट (missing report) दर्ज कराई। खूब तलाश की। मिला ही नहीं। थक-हारकर उन्होंने महाकाल दरबार (mahakal court) में अर्जी लगाने की ठानी। 800 किमी की यात्रा कर उज्जैन पहुंचे। महाकाल का ऐसा चमत्कार हुआ कि उनका बेटा उन्हें उसी उज्जैन (Ujjain) में मिल गया।
मंदिर परिसर के पास ही एक आश्रम में उनका बेटा बैठा था। श्रीकृष्ण का कहना है कि वह कासगंज जिले के रामसिंहपुरा सोरो में रहते हैं। पांच भाइयों और एक बहन में पंकज 17 साल का है और मानसिक दिव्यांग है। श्रीकृष्ण खुद मजदूरी करते हैं। इसके बाद भी उन्होंने अपने बेटे पंकज की तलाश जारी रखी। उनका कहना है कि पंकज छत पर सो रहा था। अगली सुबह वह मिला ही नहीं। उन्होंने अलीगढ़, बरेली और दिल्ली समेत तमाम शहरों में तलाश की। हर जगह निराशा ही हाथ लगी।
श्रीकृष्ण का कहना है कि उन्होंने अपने परिचित पवन समाधिया की बात मानी। वह लंबे अरसे से कह रहे थे कि महाकाल दरबार में चलो। वहीं से कोई रास्ता निकलेगा। हम उनकी बात मानकर उज्जैन आए। जब हम उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन कर बाहर निकले तो पता चला कि यहां एक सेवाधाम आश्रम है। उस आश्रम में मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों और बड़ों की देखभाल की जाती है। सोचा कि एक बार वहां जाकर देखना चाहिए। श्रीकृष्ण ने सुधीर भाई गोयल के इस आश्रम में पहुंचकर पंकज का फोटो दिखाया। पता चला कि तीन महीने से पंकज इसी आश्रम में रह रहा है।
29 जुलाई 2022 को उज्जैन हीरा मिल की चाल रोड पर पंकज दयनीय हालत में मिला था। चाइल्ड लाइन पर आए कॉल के बाद देवास गेट पुलिस ने सक्रियता दिखाई और उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया। यहां से उसे सेवाधाम आश्रम में भेजा गया। तब से पंकज आश्रम के श्री रामकृष्ण बालगृह में रह रहा था।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved