नई दिल्ली । अरविंद केजरीवाल(अरविंद केजरीवाल ) रविवार सुबह जब पार्टी कार्यालय (office party)पहुंचे तो वहां मौजूद ज्यादातर विधायकों (Legislators)को भी यह नहीं पता था कि इस्तीफे का ऐलान(announcement of resignation) होने वाला है। यही वजह है कि केजरीवाल ने जब इस्तीफा देने की बात कही तो न केवल कार्यकर्ता बल्कि कई विधायक भी हैरान दिखे। दिल्ली सरकार के कुछ मंत्री भी अचंभित रह गए। ऐसा लगा शायद उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं थी। उधर, वहां मौजूद कार्यकर्ता इस्तीफा नहीं देने की अपील करने लगे।
आम आदमी पार्टी की तरफ से शनिवार को ही यह घोषणा की गई थी कि रविवार दोपहर केजरीवाल पार्टी कार्यालय में नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। सुबह 11 बजे से पहले ही पार्टी के वरिष्ठ नेता, मंत्री, विधायक एवं कार्यकर्ता यहां पहुंच चुके थे। सुबह 11.20 बजे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान यहां पहुंचे और उसके महज दो मिनट बाद ही अरविंद केजरीवाल भी पार्टी के नए कार्यालय में आए। सीएम के आते ही नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी के साथ उनका स्वागत किया।
सुबह लगभग 11.30 बजे मंच पर सभी वरिष्ठ नेता पहुंच गए, जिनमें दिल्ली सरकार के मंत्रियों के अलावा संजय सिंह, संदीप पाठक, राघव चड्ढा, भगवंत मान, पंकज गुप्ता, मनीष सिसोदिया आदि मौजूद थे। सबसे पहले संजय सिंह और मनीष सिसोदिया ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इसके बाद ठीक 12 बजे केजरीवाल ने विधायकों एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पहले तो भाजपा पर निशाना साधते हुए सरकार द्वारा किए गये कार्यों का जिक्र किया और आखिर में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की बात कही।
जनहित में इस्तीफे का फैसला : कांग्रेस
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि केजरीवाल के दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा जनता के हित में है। केजरीवाल को यह उचित कदम पहले ही उठा लेना चाहिए था। वह देर आए लेकिन दुरुस्त आए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने जिन शर्तों पर जमानत दी है उसके बाद वे नाम के मुख्यमंत्री रह गए हैं, इसलिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना उनका फैसला नही मजबूरी है।
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