नई दिल्ली । अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को (To RSS chief Mohan Bhagwat) चिट्ठी लिखकर (By writing a Letter) भाजपा की कार्यशैली पर (On the working style of BJP) सवाल उठाए (Raised Questions) । आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत को बुधवार को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने भाजपा की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पांच सवाल पूछे।
केजरीवाल ने अपने पत्र में कहा, “मैं आज की तारीख में देश के मौजूदा राजनीतिक हालात को देखकर बेहद चिंतित हूं। भाजपा इस देश को जिस दिशा में लेकर जा रही है, वो भारतीय लोकतंत्र के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो इस देश का लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। पार्टी तो आती जाती रहेंगी, नेता आते-जाते रहेंगे, लेकिन भारत देश हमेशा बना रहेगा। इस देश में तिरंगा आसमान में गर्व से लहराए, यह हम सभी की जिम्मेदारी है।”
केजरीवाल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए अपने पहले सवाल में कहा, “बीजेपी के नेतृत्व में तरह-तरह के लालच देकर, ईडी और सीबीआई की धमकी देकर, दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़ा जा रहा है, दूसरी पार्टियों की सरकारों को तोड़ा जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या इस तरह से एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक चुनी हुई सरकार को गिराना सही है? इस तरह बेईमानी करके सत्ता हासिल करना, क्या यह आरएसएस को मंजूर है?”
केजरीवाल ने दूसरे सवाल में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह भरे मंच से देश के कुछ नेताओं को भ्रष्टाचारी कहते हैं और इसके बाद उन्हें खुद भाजपा में शामिल कर लेते हैं। जैसे 28 जून 2023 को प्रधानमंत्री ने एक नेता पर 70 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया और उसके कुछ दिनों बाद उस पार्टी को तोड़कर उसी के नेता के साथ सरकार बना ली, और उसी नेता को, जिसे वो कल तक भ्रष्टाचारी कहते थे, उसे डिप्टी सीएम बना दिया। ऐसे कई मामले हैं, जब भाजपा ने दूसरी पार्टियों के भ्रष्ट नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। क्या आरएसएस ने ऐसे बीजेपी की कल्पना की थी?”
केजरीवाल ने अपने तीसरे सवाल में कहा, “भाजपा एक ऐसी पार्टी है, जो आरएसएस के कोख में पैदा हुई है। ऐसे में आरएसएस की जिम्मेदारी बन जाती है कि अगर भाजपा पथ भ्रमित हो जाए, तो उसे सही रास्ते पर लाए।” उन्होंने अपने चौथे सवाल में जेपी नड्डा का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “जेपी नड्डा ने अपने एक संबोधन में कहा था कि हमें आरएसएस की जरूरत नहीं है। आरएसएस बीजेपी की मां है। क्या बेटा अब इतना बड़ा हो चुका है कि वो अब अपनी मां को आंखें दिखाने लगेगा। नड्डा के इस बयान से आरएसएस के हर कार्यकर्ता को ठेस पहुंची थी।”
केजरीवाल ने अपने आखिरी सवाल में कहा, “आप सब ने मिलकर एक कानून बनाया कि 75 साल बाद नेता रिटायर हो जाएंगे। आप लोगों ने इस कानून का खूब प्रचार किया। इसी कानून के तहत आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को रिटायर कर दिया गया। इस कानून के तहत भाजपा के कई नेताओं का रिटायर कर दिया गया है, लेकिन अमित शाह का कहना है कि यह कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लागू नहीं होगा। क्या इस पर आपकी सहमति है कि जिस कानून के तहत आडवाणी जी को रिटायर किया गया था, वह कानून अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लागू नहीं होगा? क्या कानून सबके लिए समान नहीं होना चाहिए?
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