नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के इस्तीफे (Resignations) के एलान के साथ ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) से कुछ माह पहले दूसरी बार मुख्यमंत्री (Chief Minister) के त्यागपत्र देने की घटना होने जा रही है। इससे पहले वर्ष 1998 में साहिब सिंह वर्मा ने विधानसभा चुनाव से करीब दो महीने पहले त्यागपत्र दिया था। इसके अलावा केजरीवाल दिल्ली में विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने से पहले त्यागपत्र देने वाले छठे मुख्यमंत्री होंगे। इस मामले में दिल्ली में सबसे पहले चौ. ब्रह्म प्रकाश ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दिया था।
दिल्ली विधानसभा के चुनाव पांच माह बाद अगले साल फरवरी माह में प्रस्तावित है। उधर, तथाकथित शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने के साथ कड़ी शर्तें लगाई हैं। इस कारण विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने का एलान कर दिया है। इससे पहले वर्ष 1998 में भाजपा नेता व दिल्ली के मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को विधानसभा चुनाव से दो माह पहले त्याग पत्र देना पड़ा था। उस समय दिल्ली में प्याज के दाम आसमान छू गए थे और कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया था। भाजपा ने कांग्रेस के आंदोलन व प्याज के अधिक दामों से जनता का ध्यान हटाने के लिए साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था। हालांकि, भाजपा का यह निर्णय कारगर साबित नहीं हुआ और विधानसभा चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा था।
दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल विधानसभा का कार्यकाल पूरा से पहले दूसरी बार त्यागपत्र देंगे। जबकि दिल्ली में इस तरह की छठी बार घटना होगी। केजरीवाल ने पहली बार वर्ष 2014 में 49 दिन बाद मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। जब उनकी ओर से जनलोकपाल विधेयक लाने के मामले में विवाद उत्पन्न हुआ था। हालांकि इस मामले में सबसे पहले कांग्रेस नेता चौ. ब्रह्म प्रकाश ने वर्ष 1955 में मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दिया था। वह वर्ष 1952 में विधानसभा गठित होते ही दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बने थे। उनको प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से टकराव के चलते त्यागपत्र देना पड़ा था। दरअसल, वर्ष 1956 में केंद्र सरकार ने दिल्ली में विधानसभा की व्यवस्था खत्म कर दी थी।
वर्ष 1993 में एक बार फिर दिल्ली में विधानसभा की व्यवस्था स्थापित हुई और इस दौरान विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की और उसने अपने दिग्ग्ज नेता मदन लाल खुराना को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन हवाला कांड में नाम आने के कारण वर्ष 1996 में उनको त्यागपत्र देना पड़ा। उनके स्थान पर भाजपा ने दिल्ली देहात के साहिब सिंह वर्मा का मुख्यमंत्री बनाया, मगर वर्ष 1998 में उन्हें भी त्याग पत्र देना पड़ा था।
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