इंदौर। पूर्व मुख्यमंत्री (Chief Minister) और प्रदेश कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष कमलनाथ (kamalnath) के बयान और अरुण यादव के पिछले दिनों बैठक में मौजूद नहीं होने के बाद कांग्रेस (Congress) की राजनीति (Politics)गर्माती जा रही है। इसके बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री (former union minister) अरुण यादव के लिए खंडवा उपचुनाव में उम्मीदवार बनने की राह आसान नजर नहीं आ रही है। हालांकि यादव अब दिल्ली (Delhi) में बड़े नेताओं पर डोरे डाल रहे हैं और वहीं से टिकट पक्का करवाने की जुगत भिड़ा रहे हैं।
दो दिन पहले भोपाल (Bhopal) में प्रदेश कांग्रेस (Congress) ने एक लोकसभा (Lok Sabha) और तीन विधानसभा Assembly) में होने वाले उपचुनावों को लेकर महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी। बैठक में प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक के साथ-साथ सभी प्रमुख नेता और संगठन प्रभारियों को भी बुलाया गया था, लेकिन खंडवा से दावेदारी कर रहे अरुण यादव नहीं पहुंचे। इस पर पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने तंज कसा था कि यादव के पास बहुत जमीन है और वे खेती के साथ-साथ राजनीति की खेती भी करते हैं। उन्हें क्या जरूरत? हालांकि इसके पहले कमलनाथ भी कह चुके थे कि अरुण यादव ने खंडवा से चुनाव लडऩे के लिए उनसे नहीं कहा। वैसे यादव लगातार खंडवा लोकसभा में सक्रियता बनाए हुए हैं और सांसद नंदकुमारसिंह चौहान के निधन के बाद उन्होंने अपनी सक्रियता और बढ़ा दी थी और मानकर चल रहे थे कि उन्हें ही टिकट मिलेगा। चौहान ने यादव को 2 लाख 73 हजार 343 वोट से हराया था। कांग्रेस सर्वे के आधार पर टिकट देना चाह रही है और यादव अपने आपको यहां का प्रबल दावेदार बता रहे हैं।
इन्होंने बिगाड़ा यादव का गणित
पिछले दिनों निर्दलीय विधायक सुरेंद्रसिंह शेरा ने अपनी पत्नी को खंडवा लोकसभा से लड़वाने की बात कहकर एक नई लड़ाई शुरू कर दी। फिलहाल शेरा भाजपा के पाले में हैं, लेकिन अगर वे पत्नी को निर्दलीय लड़ाते हैं तो कांग्रेस और भाजपा के गणित बिगाड़ेंगे। वहीं खरगोन विधायक रवि जोशी का नाम भी तेजी से सामने आया है। जोशी भी क्षेत्र में सक्रिय हैं। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर कुछ और नाम भी सामने आए हैं।
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