नई दिल्ली (New Dehli) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)ने आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)के फैसले को लेकर एक लेख(Article) लिखा है. उन्होंने अपने लेख में आर्टिकल 370 को कलंक बताया है. बता दें कि पीएम मोदी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले ही कश्मीर के लिए सक्रिय रहे हैं. उन्होंने कई ऐसे कार्य किए हैं जिससे कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में रह रहे आम लोगों के दिलों की दूरियां कम हुई. इस खबर में हम उनके इन्हीं कार्यों के बारे में बात करेंगे जो वह गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने किया.
अगस्त 2003 में, वाजपेयी सरकार ने दिल्ली के बाहर श्रीनगर में पहली अंतरराज्यीय परिषद की बैठक आयोजित की. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रम कानूनों पर चर्चा के लिए बैठक में भाग लिया. उनके साथ उस समय के गृह राज्य मंत्री अमित शाह भी थे. 27-28 अगस्त को श्रीनगर में हुई बैठक में पीएम, डिप्टी पीएम, विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों और कई राज्यों के सीएम ने हिस्सा लिया था.
गौरतलब है कि 27 अगस्त को, आतंकवादियों ने श्रीनगर में बीएसएनएल बिल्डिंग के पास ग्रेनेड फेंके, जिसके बाद गोलीबारी हुई, जिसमें एक बीएसएफ जवान और नौ अन्य की मौत हो गई. इसके बाद इसके बाद, समाचार रिपोर्टें सामने आईं, जिसमें कथित तौर पर वातानुकूलित कमरों में बैठे रहने के लिए नेताओं की आलोचना की गई, जबकि आतंकवादी हमले कर रहे थे, जिसमें जम्मू-कश्मीर में पीएम वाजपेयी के शांति प्रयासों को कमजोर करने का प्रयास दिखाया गया था.
‘यहां आतंकवाद है फिर भी…’
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट संकेत देने की आवश्यकता को पहचानते हुए कि आतंकवादी डर के कारण जम्मू-कश्मीर में सरकारी प्रयासों को नहीं रोकेंगे, अमित शाह के साथ शंकराचार्य हिल तक चलने का फैसला किया. उनके साथ पीडीपी नेता मुजफ्फर हुसैन बेग भी थे. मुख्यमंत्री के रूप में जम्मू-कश्मीर का दौरा करते समय, मोदी ने डल झील पर जीसी सक्सेना और फारूक अब्दुल्ला के साथ खुली हवा में बैठक की, जो लगभग एक घंटे तक चली. इसके बाद गुजरात से आए 30-40 पर्यटक मोदी के पास पहुंचे और उनके पैर छूकर अपना सम्मान जताया. मोदी ने अब्दुल्ला से कहा ‘यहां आतंकवाद है फिर भी गुजरात से लोग यहां आते हैं, तुम गुजरात में एक टूरिज्म डिपार्टमेंट खोल लो!’
नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में युवाओं की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं से जुड़ने के महत्व को पहचाना. गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, मोदी अक्सर कश्मीर के युवाओं और छात्र प्रतिनिधिमंडलों से उनके दृष्टिकोण को समझने के लिए सीधे बातचीत करते थे.
2013 में धारा 370 पर बहस शुरू करना
दिसंबर 2013 में, पीएम मोदी ने जम्मू के एमए स्टेडियम में 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए जम्मू-कश्मीर में एक रैली की. मोदी ने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के कारण एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर प्रकाश डाला. विशेष रूप से, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे अनुच्छेद 35ए राज्य में महिलाओं को संपत्ति रखने या विरासत में लेने से प्रतिबंधित करता है. अपने भाषण के दौरान, मोदी ने देश के लिए अनुच्छेद 370 के लाभों पर व्यापक चर्चा का आह्वान किया और महाराजा हरि सिंह को दरकिनार किए जाने का भी मुद्दा उठाया.
उस समय उन्होंने कहा था कि ‘आज मैं विशेष रूप से अपने गुर्जर मित्रों के बारे में सोचना चाहता हूं, जो कहते थे कि हम आपके लोग हैं. हमारा संबंध गुजरात से है इसलिए हमें गुर्जर कहा जाता है. वे कहते थे कि हमारे पूर्वज गुजरात से जुड़े रहे हैं और मैं आज भी देख सकता हूं कि गुजरात के कुछ इलाकों में लोगों का रहन-सहन, पहनावा और संस्कृति मेरे गुर्जर दोस्तों से काफी मिलती-जुलती है. जिन गुर्जर परिवारों में मैं भोजन करता था, उनके भोजन का स्वाद भी गुजरात के भोजन की तरह थोड़ा मीठा होता था. साथियों, आज भी आप इतनी बड़ी संख्या में यहां आये हैं और मुझे अपने लोगों से मिलकर बहुत खुशी हो रही है..!’
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत महाराजा हरि सिंह के योगदान को याद करते हुए और निर्णय लेने से उन्हें किनारे करने की ऐतिहासिक भूल को याद करते हुए की थी. उन्होंने कहा था कि ‘स्वतंत्रता के बाद, यदि महाराजा हरि सिंह जी जम्मू-कश्मीर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया की मुख्यधारा में होते, तो इस राज्य की यह स्थिति नहीं होती. हरि सिंह जी एक दूरदर्शी व्यक्ति थे. एक राजा से भी बढ़कर, उन्होंने एक समाज सुधारक के रूप में काम किया है.’
उन्होंने कहा कि ‘अनुच्छेद 370 एक ढाल बन गया है और इसका इस्तेमाल एक ढाल के रूप में किया जा रहा है. इसे सांप्रदायिक रत्नों से सुसज्जित किया गया है और सिर्फ इसी वजह से इस पर कोई वैध चर्चा नहीं हो पा रही है. मैं चाहता हूं कि संविधान के विशेषज्ञ इस पर चर्चा करें.’ पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के कारण एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव पर प्रकाश डाला।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अनुच्छेद 35ए के कारण राज्य में महिलाएं अब संपत्ति की मालिक या उत्तराधिकारी कैसे हो सकती हैं. पीएम मोदी ने ‘भेदभाव की राजनीति’ और ‘अलगाव की राजनीति’ को ‘एकीकरण की राजनीति’ से बदलने का वादा किया. उन्होंने कहा था कि ‘दोस्तों, जरा सा ध्यान दीजिये. ये जो अलगाववादी हैं, ये अलगाववाद का गुणगान कर रहे हैं, लेकिन इसका फायदा किसे हुआ? पिछले 60 साल का इतिहास पढ़िए, केवल 50 परिवारों ने इसका फायदा उठाया है और पूरे जम्मू-कश्मीर को अंधेरे में रखा गया है।
PM मोदी ने कहा था कि ‘क्या आप सभी गुर्जर परिवारों को आदिवासी होने के नाते लाभ नहीं मिलना चाहिए? आपको आपका हक मिलना चाहिए या नहीं? आखिर इन सभी लोगों को इसकी सुविधा क्यों नहीं दी जा रही है? क्या कारगिल के मेरे शिया भाइयों की भलाई के लिए प्रयास नहीं किये जाने चाहिए? शेष भारत में पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त हैं, जो अधिकार पुरुषों को प्राप्त हैं वही अधिकार महिलाओं को भी प्राप्त हैं! क्या जम्मू-कश्मीर में महिलाओं के साथ अन्याय होना चाहिए? क्या यहां महिलाओं के साथ अन्याय बंद होना चाहिए? आज जम्मू-कश्मीर के कानून की हालत ऐसी है कि महिला और पुरुष में फर्क किया जाता है. मैं यहां हिंदू या मुसलमान के बारे में बात करने नहीं आया हूं, मैं अपने सवा करोड़ जम्मूवासियों के बारे में बात करने आया हूं! ये भेदभाव की राजनीति, अलगाव की राजनीति, इसने इस देश को बर्बाद कर दिया है। अगर विकास करना है तो एकीकरण की राजनीति ही काम करेगी और वही हमें आगे बढ़ने देगी।
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