नई दिल्ली (New Delhi) । लद्दाख (Ladakh) में आर्टिकल 371 (article 371) जैसी सुरक्षा लागू की जा सकती है। हालांकि, अब तक केंद्र सरकार (Central government) की ओर से इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। कुछ समय पहले ही क्षेत्र में जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसके जरिए जनता राज्य का दर्जा, विधायिका और 6वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे।
खबरें हैं कि क्षेत्र के प्रतिनिधियों यानी लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि शाह ने उन्हें भरोसा दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 371 के जरिए उनकी जमीन, नौकरियों और संस्कृति से जुड़ी परेशानियों को हल किया जाएगा।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से आगे कहा गया है कि शाह ने साफ किया है कि 6वीं अनुसूची में शामिल करना संभव नहीं होगा। कहा जा रहा है कि सरकार की तरफ से विधायिका की मांग पर भी इनकार किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों का कहना है कि विधायिका की मांग को अस्वीकार करने के बाद शाह ने भरोसा दिया है कि हिल काउंसिल्स के जरिए स्थानिय लोगों को शामिल किया जाएगा और प्रतिनिधित्व भी मिलेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में मौजूद लद्दाख के एक नेता ने कहा, ‘जमीन, नौकरी और संस्कृति से जुड़ी जनता की मांगों को लेकर मंत्री सहानुभूति रख रहे थे और कहा कि इनका समाधान आर्टिकल 371 के प्रावधानों के तहत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 80 फीसदी तक आरक्षण देना चाह रही है।’
खबर है कि सरकार ने एक हाई पावर कमेटी का भी गठन किया है, जो क्षेत्र की मांगों पर विचार कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि सरकार लद्दाख की जनता को नौकरी, जमीन, भाषा और संस्कृति की सुरक्षा देना तो चाहती है, लेकिन उस तरह से नहीं जैसे प्रतिनिधि मांग कर रहे हैं।
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