भोपाल। इस बार उपचुनावों में बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवारों की मौजूदगी भाजपा-कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। कुल 28 सीटों पर 179 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। यह संख्या पिछले चुनाव म से 20त्न अधिक है। उल्लेखनीय है कि अब तक उपचुनावों से दूर रहने वाले निर्दलीयों की भारी मौजूदगी के पीछे बड़ा कारण सरकार बनाने में अनिश्चितता की स्थिति है। जानकारों का मानना है कि यदि निर्दलीय कुछ सीटें जीत लेते हैं, तो वे सत्ता की चाबी बन सकते हैं। उन्हें सत्ता में जिम्मेदारी भी मिल सकती है। अकेले मेहगांव विधानसभा सीट पर ही 27 निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। बता दें कि 2018 में इन 28 सीटों पर 150 निर्दलीय प्रत्याशी थे, जिन्हें एक लाख 96 हजार से अधिक वोट मिले थे। ग्वालियर चंबल अंचल की अन्य जिन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों के मौजूदगी ज्यादा है, उनमें मेहगांव, जौरा, डबरा, भांडेर, अंबाह, दिमनी, मुरैना, गोहद, ग्वालियर पूर्व और बुंदेलखंड की बड़ा मलहरा सीट शामिल है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें यदि उपचुनाव वाली इन सीटों से निर्दलीय उम्मीदवार जीत कर आते हैं तो वे सत्ता के भागीदार भी बन सकते हैं।
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