नई दिल्ली (New Delhi)। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ (Yamunotri, Gangotri, Kedarnath, Badrinath) की यात्रा में आर्मी प्रोटोकॉल (army protocol) श्रद्धालुओं की जान बचा सकता है। यदि श्रद्धालु ऊंचाई पर एक साथ चढ़ाई करने की जगह रुक-रुक चढ़ते है तो शरीर भी उसी के अनुकूल हो जाता है जिससे शरीर में होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।
पहाड़ों पर तैनाती के दौरान आर्मी के जवान रुक-रुक ऊंचाई की तरफ बढ़ते हैं, ऐसे ही श्रद्धालुओं (devotees) को प्रति एक हजार मीटर की चढ़ाई के बाद रुकने का सुझाव दिया गया है। इसे लेकर जल्द ही गाइडलाइन जारी करने के लिए एम्स के डॉक्टरों के तरफ से केंद्र सरकार को सुझाव भी भेजा जाएगा।
दरअसल समतल क्षेत्रों व गर्म वातावरण में रहने वाले लोगों का शरीर अलग तरह से काम करता है। पहाड़ पर यात्रा के दौरान अचानक शरीर सामान्य तापमान से काफी नीचे के वातावरण में पहुंच जाता है, जिस कारण दिमाग में सूजन व फेफड़े में दिक्कत आ जाती है और मरीज की तबीयत खराब होने लगती है।
ऐसे में मरीज की जान बचाने के लिए उसे तुरंत पहाड़ से नीचे लाना पड़ता है। श्रद्धालुओं के शरीर में होने वाले इन्हीं समस्याओं को देखते हुए बुधवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में स्वामी विवेकानंद हेल्थ मिशन सोसाइटी की मदद से शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के डॉक्टरों ने इस विषय को लेकर चर्चा हुई।
चर्चा के दौरान आर्मी से आए डॉक्टराें ने प्रोटोकॉल पर चर्चा की। चर्चा के दौरान डॉक्टरों ने बताया कि हर साल यात्रा पर आने वाले 10 फीसदी श्रद्धालुओं में शारीरिक दिक्कत आती है।
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