श्रीनगर. भारतीय सेना (Indian Army) ने बुधवार को लद्दाख (Ladakh) में हाई-एल्टीट्यूड (high-altitude) वाले युद्ध और ऑपरेशंस (Operations) पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक रणनीतिक सैन्य अभ्यास पर्वत प्रहार किया. पर्वत प्रहार (Mountain Strike) युद्ध अभ्यास पहाड़ी और ऊबड़-खाबड़ इलाकों जैसे पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों पर जोर देता है. इस बारे में अधिकारियों ने जानकारी दी है.
‘पर्वत प्रहार’ (माउंटेन स्ट्राइक) अभ्यास पहाड़ी और ऊबड़-खाबड़ इलाकों पर जोर देता है, जैसे कि पूर्वी लद्दाख जैसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं. यह उस क्षेत्र में सेना की तत्परता और प्रभावशीलता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है जो भारत-चीन सीमा के करीब है.
एक पखवाड़े से ज्यादा वक्त तक चलने वाले इस अभ्यास में ऐसे इलाकों में उत्पन्न होने वाली अनूठी चुनौतियों में सैनिकों को प्रशिक्षित करने के लिए वास्तविक दुनिया के युद्ध परिदृश्यों का अनुकरण करना शामिल है. इस ड्रिल में पैदल सेना, बख्तरबंद, तोपखाने और सपोर्ट यूनिट समेत सेना की कई शाखाएं भाग ले रही हैं.
इस अभ्यास के बारे में सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने एक्स पर जानकारी देते हुए लिखा, लद्दाख में 12,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर कंपकंपा देने वाले तापमान में फायर एंड फ्यूरी सैपर्स प्लांट संचालकों के साथ कॉम्बैट इंजीनियरिंग ऑपरेशन पर एकीकृत ट्रेनिंग ले रहे हैं. हाई-एल्टीट्यूड पर प्रशिक्षण परिचालन तत्परता, विश्वसनीयता और आत्मविश्वास को प्रदर्शित करता है.
सेना की तैयारी को उजागर करता है अभ्यास
अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र की रणनीतिक स्थिति और चीन से इसकी निकटता ‘पर्वत प्रहार’ को एक महत्वपूर्ण अभ्यास बनाती है. प्रशिक्षण में न केवल लड़ाकू इंजीनियरिंग कौशल शामिल है, बल्कि मिशन के दौरान निर्बाध सहयोग सुनिश्चित करने के लिए प्लांट ऑपरेटरों के साथ समन्वय भी शामिल है. यह कठोर अभ्यास दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में से एक में काम करने के लिए भारतीय सेना की तैयारी को उजागर करता है.
वहीं, गलवान झड़प के बाद से भारत और चीन चार साल से अधिक समय से सैन्य गतिरोध में बंद हैं, सैन्य और राजनीतिक दोनों स्तरों पर कई दौर की बातचीत महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करने में विफल रही है. 2020 के बाद से भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में 500 से अधिक टैंक और बख्तरबंद लड़ाकू वाहन तैनात किए हैं और तेजी से बुनियादी ढांचे का विकास किया है.
इसके अलावा भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी तैनाती का मुकाबला करने के लिए 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है, जिसका उद्देश्य चीन द्वारा यथास्थिति को बदलने के किसी भी अन्य प्रयास को रोकना है.
भारत और चीन ने हाल ही में भारत-चीन सीमा मामलों (डब्ल्यूएमसीसी) की बैठक में परामर्श और समन्वय के लिए एक कार्य तंत्र का समापन किया है और जल्द ही एलएसी पर गतिरोध को हल करने के लिए कोर कमांडर-स्तर की अगेल दौर की वार्ता होने की उम्मीद है.
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