नई दिल्ली (New Dehli)। भारतीय सेना (Indian Army)में लगभग 17 साल तक कमांडो रहे एक जवान को दिल्ली पुलिस सिपाही भर्ती (delhi police constable recruitment)के मेडिकल टेस्ट में अनफिट (Unfit in medical test)बता दिया गया। इसके बाद जवान ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का दरवाजा खटखटाया है। कैट ने इस पर एसएससी से जवाब मांगा गया है।
यूपी के रहने वाले अमरीश कुमार अप्रैल 2005 में भारतीय सेना में कमांडो बने थे। अप्रैल 2022 में जब वह सेवानिवृत हुए तो सेना ने उन्हें शारीरिक रूप से फिट बताते हुए शेप-1 कैटेगरी में माना। वर्ष 2023 में एसएससी ने दिल्ली पुलिस में सिपाही पद पर भर्ती निकाली। उन्होंने सेना से सेवानिवृत कैटेगरी में आवेदन किया। इसके बाद लिखित परीक्षा पास कर फिजिकल टेस्ट में भी बेहतर प्रदर्शन किया।
21 जनवरी को उन्हें मेडिकल जांच के लिए दिल्ली के तिगड़ी स्थित आईटीबीपी कैंप भेजा गया। 23 जनवरी को जांच के बाद फिर 25 जनवरी को फरीदाबाद के एक निजी अस्पताल में भेज दिया गया। यहां जांच के बाद बताया गया कि उसके एक पैर की सतही नसें दिख रही हैं। इसके कारण उन्हें मेडिकल अनफिट करार दे दिया गया। इसके खिलाफ अमरीश ने कैट में याचिका दायर की।
जवान अमरीश की ओर से पेश हुए वकील अनिल सिंगल ने याचिका में अपनी दलील देते हुए कहा कि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि नसें दिखने से किस तरह सिपाही का कार्य प्रभावित हो सकता है। अगर इससे पुलिसकर्मी की ड्यूटी प्रभावित नहीं होती तो उनके मुवक्किल को अनफिट घोषित करना गलत है।
कैट ने एसएससी से जवाब मांगा
वकील की तरफ से कैट को यह भी बताया गया कि अमरीश कमांडो थे। सेवानिवृत होते समय भी उन्हें दिए गए दस्तावेज में उन्हें पूरी तरह फिट करार दिया गया है। सरकारी अस्पताल में मेडिकल कराने की जगह उनकी जांच एक निजी अस्पताल में करवाई गई है। कैट ने इस पूरे मामले की सुनवाई करने के बाद एसएससी से जवाब मांगा है।
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