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    म्यांमार को साधने भारत के सेना प्रमुख दो दिवसीय दौरे पर

  • October 04, 2020


    नई दिल्ली। लद्दाख में चीन से तनातनी के बीच भारत म्यांमार से सटी सीमाओं पर सुरक्षा मजबूत करेगा। म्यांमार के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के अलावा तटीय जहाजरानी समझौते भी कर सकता है। इससे बंगाल की खाड़ी पर बने सितवे बंदरगाह और कलादान नदी पर बन रही बहुपक्षीय मॉडल लिंक परियोजना से होकर गुजरने वाले भारतीय जहाज आसानी से मिजोरम पहुंच सकेंगे। इन सब पर मुहर लगाने के लिए सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला रविवार को दो दिवसीय दौरे पर म्यांमार जाएंगे।

    विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, अपने दौरे में जनरल नरवणे और विदेश सचिव शृंगला म्यांमार की सलाहकार आंग सान सू की समेत शीर्ष सैन्य और राजनीतिक नेताओं से मुलाकात करेंगे। दोनों म्यांमार के सैन्य बलों के कमांडर इन चीफ वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलैंग से भी मिलेंगे।

    दोनों देशों के नेता इस दौरान भारत-म्यांमार सीमा पर ड्रग्स तस्करी और भारतविरोधी घुसपैठियों को रोकने के लिए सुरक्षा को मजबूत करने पर चर्चा करेंगे। बयान में कहा गया है कि म्यांमार के साथ संबंधों को बढ़ावा देना भारत की प्राथमिकता में है। भारत इस मामले में पड़ोस पहले और एक्ट ईस्ट की नीति अपनाता रहा है।

    बयान में कहा गया है कि हाल के वर्षों में दोनों देशों के नेता संपर्क और कारोबार, विकास परियोजनाएं, ऊर्जा, क्षमता बढ़ाना, रक्षा और सुरक्षा तथा सांस्कृतिक और जनसंपर्कों को बढ़ावा देने पर काम करते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ने अंडमान सागर के तटीय इलाकों में ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत हाइड्र्रोकार्बन से समृद्ध ब्लॉकों के विकास में करीब 10,265 करोड़ रुपये का निवेश कर रखा है।

    कलादान परियोजना की परिकल्पना 20 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने की थी। सितवे बंदरगाह का निर्माण भारत कलादान परियोजना के तहत कर रहा है। दरअसल, इसका मकसद सिलीगुड़ी कोरिडोर पर निर्भर पूर्वोत्तर के राज्यों को एक मजबूत विकल्प देना है।

    सितवे बंदरगाह से मिजोरम स्थिति राष्ट्रीय राजमार्ग 54 की दूरी करीब 140 किमी है। अभी कोलकाता बंदरगाह से मिजोरम तक जाने में करीब 1900 किमी दूरी तय करनी होती है, जबकि सितवे बंदरगाह का इस्तेमाल करने से यह दूरी तकरीबन आधी रह जाएगी। म्यांमार भारत का रणनीतिक रूप से अहम पड़ोसी है। इसके साथ भारत की 1,640 किमी की सीमा है। उग्रवाद प्रभावित नगालैंड और मणिपुर समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों की सीमाएं म्यांमार से लगती हैं। भारत की चिंता पूर्वोत्तर में सक्रिय उग्रवादी समूहों को म्यांमार में शरण लिए जाने को लेकर है। म्यांमार ने भरोसा दिया है कि किसी उग्रवादी समूह को उसकी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं करने दिया जाएगा। बड़ी संख्या में भारत विरोधी घुसपैठिये चीनी हथियारों से लैस होकर अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर से घुसपैठ करते हैं।

    चीन ने भी म्यांमार में बना रखी है पैठ
    चीन ने भी म्यांमार में महत्वपूर्ण रूप से पैठ बना रखी है। इसमें म्यांमार में सड़क, पुल समेत बुनियादी ढांचों के निर्माण, हाइड्रोकार्बन, ऊर्जा और बंदरगाह क्षेत्र के विकास भी शामिल हैं। चीन को म्यांमार सरकार ने पहले ही क्यायूकप्यू पोर्ट विकसित करने का ठेका दिया है। हालांकि, म्यांमार के नेतृत्व ने साफ तौर पर कहा है कि चीन से कोई भी समझौता भारत से द्विपक्षीय रिश्तों को दरकिनार करते हुए नहीं किया जाएगा

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