नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने गुरुवार को कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा पर घटनाएं तब तक होती रहेंगी जब तक दोनों देशों के बीच सीमा समझौता नहीं हो जाता। सेना प्रमुख ने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम पर भारतीय सेना भी अपनी नजर बनाई हुई थी। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति को देखते हुए हमारी सेना रणनीति तैयार करती है।
हम किसी भी दुस्साहस का सामना करने के लिए फिर से तैयार
चीन पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का चीन के साथ अभी भी सीमा विवाद जारी है। हम किसी भी दुस्साहस का सामना करने के लिए फिर से तैयार हैं जो कि हो सकता है जैसा कि हमने अतीत में सामना किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं तब तक होती रहेंगी जब तक कि एक दीर्घकालिक समाधान नहीं हो जाता है और वह है सीमा समझौता। दोनों देशों को सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए एक मजबूत प्रयास करनी चाहिए।
अफगानिस्तान पर हमारी नजर, सेना समय-समय पर करती है मूल्यांकन
अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना या सशस्त्र बल खतरे की आशंकाओं का समय-समय पर मूल्यांकन करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि उन मूल्यांकनों के आधार पर भारतीय सेना भविष्य के खतरों से निपटने के लिए आवश्यक रणनीतियां और सिद्धांत तैयार करती है। यह एक सतत प्रक्रिया है जो कभी नहीं रुकती है। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को काबुल तालिबान के हाथों में आ गया था।
अफगानिस्तान के तालिबान के अधिग्रहण के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, भारत ने 20 सितंबर को कहा था कि देश के क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी कृत्यों को आश्रय, प्रशिक्षण, योजना या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए। नरवणे ने कहा कि जहां तक आतंकवादी खतरे का सवाल है, भारतीय सेना सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।
जम्मू और कश्मीर में भी हम सतर्क
जम्मू और कश्मीर में हमारे पास एक बहुत ही गतिशील आतंकवाद विरोधी ग्रिड है। यह एक गतिशील ग्रिड है और यह हमारे पड़ोसी पाकिस्तान द्वारा अधिक से अधिक आतंकवादियों को धकेलने के प्रयासों पर पैनी नजर बनाए रखती है। उन्होंने कहा कि उतार-चढ़ाव के आधार पर, हम अपने संचालन के स्तर को भी बार-बार मूल्यांकन करते रहते हैं।
पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प से सीमा गतिरोध शुरू हुआ
गौरतलब है कि भारत और चीनी सेनाओं के बीच मौजूदा सीमा गतिरोध पिछले साल मई में पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ था। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी। पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद यह विवाद बढ़ गया था। दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्षों को चिह्नित करने वाली झड़पों में 20 भारतीय सेना के जवान शहीद हो गए थे।
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