नई दिल्ली। चीन से लद्दाख सीमा पर आमने-सामने की मोर्चेबंदी के बीच केंद्र सरकार ने एक महीने के भीतर दूसरी बार तीनों सेनाओं को राइफल्स, मिसाइल, गोला बारूद, ड्रोन आदि खरीदने के लिए बुधवार को 300 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी। इससे पहले सशस्त्र बलों को नए उपकरणों और प्रणालियों की खरीद के लिए 21 जून को 500 करोड़ रुपये दिए गए थे।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की विशेष बैठक में सशस्त्र बलों को जरूरतों को पूरा करने के लिए 300 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच तनाव के बीच पहली किश्त के रूप में 500 करोड़ की मंजूरी के बाद पिछले हफ्तों में राफल्स, मिसाइल, गोला बारूद, ड्रोन आदि खरीदने के लिए कई ऑर्डर दिए जा चुके हैं। सशस्त्र बलों को नए उपकरण और प्रणालियों की खरीद के लिए आर्थिक शक्तियां देने से रक्षा अधिग्रहण से जुड़ी कुछ अड़चनों को दूर करने की उम्मीद है।
भारतीय सेना अमेरिकी कम्पनी से 72 हजार सिग-716 असॉल्ट रायफल और इजरायल से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और हेरॉन ड्रोन खरीदने का ऑर्डर दे रही है। एयरफोर्स के प्रोजेक्ट चीता के तहत मौजूदा बेड़े को लड़ाकू यूएवी में अपग्रेड करने पर भी काम हो रहा है। डीआरडीओ भी पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल विकसित कर रहा है जिससे 50 हजार मिसाइलों की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। सेना को अमेरिकी कम्पनी ‘सिग सॉयर’ से दूसरी खेप में फिर 72 हजार सिग-716 असॉल्ट रायफलें इसलिए खरीदनी पड़ रही हैंं क्योंकि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रूसी तकनीक वाली एके-203 रायफलों का निर्माण नहीं शुरू हो पाया है। यह खरीद सशस्त्र बलों को दी गई वित्तीय शक्तियों के तहत की जाएगी।
चीन सीमा (एलएसी) पर तैनात सैनिकों की जरूरत को देखते हुए सरकार ने दो बार में सेनाओं को 800 करोड़ रुपये के आपात फंड को मंजूरी दी है। इस आदेश के बाद तीनों सेनाएं अपनी जरूरत के हिसाब से घातक हथियार और गोला बारूद खरीद सकती हैं। सेना में पूंजी बजट के तहत प्रक्रियाएं फास्ट-ट्रैक के बावजूद कई परीक्षणों और लंबी प्रक्रियाओं से गुजरती हैंं जिसमें काफी समय लगता है। इसलिए मौजूदा जरूरतों को देखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नए प्रावधान खरीद की समय सीमा को कम करेंगे जिससे जल्द ऑर्डर दिए जा सकेंगे और एक वर्ष के भीतर आपूर्ति हो सकेगी।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बड़ी संख्या में चीनी सेना की तैनाती के जवाब में भारतीय सैनिकों की तैनाती के बाद सरकार की ओर से आपात स्थिति में सेना को विशेष शक्ति देने की जरूरत को महसूस किया गया जिसके बाद हथियारों को खरीदने के लिए इमरजेंसी फंड जारी किया गया है। यह पहली बार नहीं है कि जब सरकार ने सेना को इमरजेंसी फंड दिया हो, इससे पहले उड़ी हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भी सरकार ने सुरक्षाबलों को इसी तरह की वित्तीय शक्तियां दी थीं। (एजेन्सी, हि.स.)
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