येरेवन: आर्मेनियाई सैनिकों (Armenian soldiers) को अमेरिका (America) के साथ चल रहे संयुक्त अभ्यास (joint practice) के दौरान भारत (India) निर्मित हेलमेट माउंटेड थर्मल इमेजिंग मोनोकुलर (Mounted Thermal Imaging Monocular) पहने देखा गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में अर्मेनियाई सैनिकों को बेंगलुरु स्थित फर्म टोनबो इमेजिंग के बनाए गए थर्मल इमेजिंग मोनोकुलर पहने हुए दिखाया गया है। ये साइट्स उन कई रक्षा-संबंधी उपकरणों में से हैं जिन्हें आर्मेनिया ने अजरबैजान (Azerbaijan) के साथ युद्ध में हारने के बाद अपनी सेना को मजबूत करने के लिए भारत से खरीदा है। संयोग से, भारतीय सेना ने भी 2021 में चीन के साथ तनाव के बीच आपातकालीन खरीद के हिस्से के रूप में टोनबो इमेजिंग से कई अन्य के अलावा ये साइट्स भी खरीदी थीं।
कई देशों की स्पेशल फोर्सेज करती हैं इस्तेमाल
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अलावा इजरायल और फ्रांस सहित कई देशों की स्पेशल फोर्सेज भारत की इसी कंपनी के उत्पादों उपयोग में हैं। 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भारतीय सेना के स्पेशल फोर्सेज के जवानों ने इसी फर्म से खरीदे गए थर्मल साइट्स का इस्तेमाल किया था। एक दशक पहले नाटो के साथ संयुक्त अभ्यास के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने इस कंपनी के उत्पादों के बारे में पता चला था। तब अमेरिकी सेना ऐसे हथियारों का इस्तेमाल कर रही थी जिनमें टोनबो सिस्टम के साइट्स लगे हुए थे। उस वक्त सेना को एहसास हुआ कि भारत में भी ऐसे उपकरण बनाने वाली कंपनियां मौजूद हैं।
भारत से जमकर हथियार खरीद रहा आर्मेनिया
आर्मेनिया पिछले कुछ साल में भारत का सबसे बड़ा हथियार खरीदार देश बनकर उभरा है। उसने भारत से आर्टिलरी गन सिस्टम और पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर से लेकर छोटे हथियार और गोला-बारूद और फ़्यूज की कऱीद की है। आर्मेनिया भारत की सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में भारतीय रक्षा कंपनियों के लिए एक बड़ा ग्राहक बनकर उभरा है। हालांकि, आर्मेनिया को हथियार निर्यात पर भारत सरकार ने अभी तक चुप्पी ही साधी हुई है। लेकिन, सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान नई दिल्ली की बड़ी रणनीतिक भूमिका के आधार पर विदेशी देशों से मिलने वाले हर अनुरोध को सुविधाजनक बना रहे हैं।
भारतीय हथियार निर्यात में जबरदस्त इजाफा
भारतीय रक्षा निर्यात वित्तीय वर्ष 2023-2024 में 21,083 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया है, जिसमें खेप पड़ोस और उससे आगे के 85 से अधिक देशों तक पहुंची है। आर्मेनिया ने 2022 से भारत से हथियारों की खरीद शुरू की थी। इस पूर्व सोवियत गणराज्य ने 2020 में भारत से चार स्वदेशी स्वाथी हथियार लोकेटिंग रडार खरीदे थे। इसके बाद, आर्मेनिया ने पिनाका रॉकेट सिस्टम खरीदा और तब से उसने भारत में अपने बलों को प्रशिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा कई अन्य उपकरण खरीदे हैं।
आर्मेनिया का दुश्मन पाकिस्तान का दोस्त
आर्मेनिया के कट्टर प्रतिद्वंद्वी अज़रबैजान को कई लोग तुर्की और पाकिस्तान के साथ उभरती धुरी के हिस्से के रूप में देखते हैं। इसने आर्मेनिया के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए तुर्की के ड्रोन का इस्तेमाल किया है। भारत और आर्मेनिया दोनों द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के मुद्दों पर एक संयुक्त कार्य समूह स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस साल मई में दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच पहली औपचारिक परामर्श बैठक हुई थी। परामर्श के दौरान, रक्षा क्षेत्र में आर्मेनिया और भारत के बीच सहयोग की वर्तमान स्थिति और भविष्य के विकास की संभावनाओं – जिसमें सैन्य-तकनीकी, सैन्य शिक्षा और कर्मियों का युद्ध प्रशिक्षण, अनुभव का आदान-प्रदान और अन्य शामिल हैं – पर चर्चा की गई।
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