येरेवान। आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच युद्ध दूसरे दिन भी जारी रहा। अमेरिका-रूस और संयुक्त राष्ट्र की अपील भी काम नहीं आई। आर्मीनिया का दावा है कि अजरबैजान के 22 टैंकों समेत 100 उपकरणों को उसने ध्वस्त कर दिया है, जिसमें ड्रोन भी शामिल हैं।
भारी गोलाबारी के बीच सवाल पूछा जा रहा है कि क्या अब रूस की युद्ध में एंट्री होगी। अब तक तो ये दो देशों के बीच युद्ध है लेकिन आशंका जताई जा रही है कि ये युद्ध फैल सकता है। संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका और रूस जैसे देश इस मामले में सीज फायर की अपील कर चुके हैं लेकिन मौजूदा हालात देख कर लगता नहीं की युद्ध जल्दी थमने वाला है। राष्ट्रपति आर्यक हरुतुयन जो मौजूदा युद्ध के लिए अजरबैजान और तुर्की को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं आर्मीनिया ने अपने आरोपों के समर्थन में तुर्की के न्यूज चैनल का वीडियो जारी किया है। युद्ध शुरू होते ही ये समाचार सीधे युद्धस्थल से प्रसारित किए जा रहे थे। आर्मीनिया का आरोप है तुर्की के उकसावे पर अजरबैजान ने सोची समझी रणनीति के तहत हमला किया है।
तुर्की के समाचार चैनल दावा कर रहे है कि रूसी विमान आर्मीनिया में लैंड कर चुके हैं। जरूरत पड़ने पर इन्हें अजरबैजान के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि इस पर आर्मीनिया या रूस ने कुछ नहीं कहा पर रूस तुर्की का धुर विरोधी है और आर्मीनिया में अब भी रूस का सिक्का चलता है। ऐसे में तुर्की आगे बढ़ा तो रूस का उतरना तय है।
ईरान भी शिया देश है और अजरबैजान भी लेकिन दोनों शिया देशों में 36 का आंकड़ा है। इसलिए आर्मीनिया की मदद के लिए भेजे गए इन सैन्य ट्रकों से किसी को हैरानी नहीं है। हालांकि ईरान अभी खुलकर सामने नहीं आया है लेकिन युद्ध बढ़ता है तो ईरान खुलकर आर्मीनिया के समर्थन में उतर सकता है।
अजरबैजान और तुर्की के समाचारों में ये चर्चा गरम है कि आर्टशक सरकार की तरफ से कुर्द लड़ाके भी लड़ रहे हैं। हालांकि आर्मीनिया ने इसका खंडन करते हुए आरोप लगाया है कि सीरिया के चरमपंथी अजरबैजान की सेना की तरफ से मैदान में उतरे हुए हैं। ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन ने खुल कर मुस्लिम देश अजरबैजान का साथ दिया है और आर्मीनिया की निंदा की है। ओआईसी की तरफ से कहा गया, ” OIC अज़री क्षेत्रों से अर्मेनियाई सेना की पूर्ण और बिना शर्त वापसी की मांग करता है। हमारी मांग है कि अजरबैजान की संप्रभुता और अखंड़ता को घ्यान में रखते हुए दोनों देश बातचीत से राजनैतिक समाधान निकालें।” OIC के कूदने का मतलब ये है कि ये संघर्ष मुस्लिम बनाम ईसाई बन सकता है क्योंकि अजरबैजान मुस्लिम बहुल देश है तो आर्मीनिया एक ईसाई बहुल देश है। सामरिक्ष आधार पर तुर्की और मित्र देशों के विरोध में रूस उतर सकता है। ऐसे में ये युद्ध महायुद्ध बन जाए तो हैरानी नहीं होगी।
यूरोप के नजदीक एशिया का देश आर्मीनिया और उसका पड़ोसी देश है अजरबैजान। विवाद की जड़ में है 4400 वर्ग किलोमीटर में फैला नागोर्नो-काराबाख नाम का इलाका। नागोर्नो-काराबाख इलाका अंतरराष्ट्रीय रूप से अजरबैजान का हिस्सा है लेकिन उस पर आर्मीनिया के जातीय गुटों का कब्जा है। 1991 में इस इलाके के लोगों ने खुद को अजरबैजान से स्वतंत्र घोषित करते हुए आर्मीनिया का हिस्सा घोषित कर दिया। इसी बात को लेकर दोनों देशों में पहले भी भिड़ंत हुई है।
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