मुंबई। हिंदी सिनेमा के सितारों में गिनती के ही ऐसे हैं जो अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां समझते हैं और युवाओं को सीधे प्रभावित करने वाले विमर्श में अपनी हिस्सेदारी करते हैं। अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor) इन दिनों डिजिटल दुनिया में एक मिशन लेकर चल रहे हैं और ये मिशन है युवाओं को अनावश्यक सोशल मीडिया के दबाव से मुक्ति दिलाने का। लंबे समय तक अपने मोटापे की वजह से ताने सुनते रहे अभिनेता अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor) मानते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए और अगर कोई इंसान अपने मन की बात लोगों के साथ साझा करके इस तरह के किसी सामाजिक दबाव से बाहर निकलने की कोशिश(trying to escape social pressure) करता है तो बजाय उसकी छवि को लेकर कोई फैसला करने के उसकी बात धैर्यपूर्वक सुनी जानी चाहिए। नाओमी ओसाका, सिमोन बाईल्स और बेन स्टोक्स जैसे मशहूर खिलाड़ियों के इस बारे में विमर्श शुरू करने को वह बुल्कुल सही मानते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि इस तरह के विमर्श में हर क्षेत्र की हस्तियों को भारत में भी आगे आना चाहिए।
इस नए विमर्श में अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor) अपनी बात लगातार रखते रहे हैं। वह कहते हैं, ‘‘हमें उन लोगों को प्रोत्साहित और प्रेरित करना होगा जो अपनी राम कहानी बताने के लिए आगे आ रहे हैं। हम उस युग में रह रहे हैं जिसमें हम पर निरंतर नजर रखी जाती है। अपने लिए खाली समय निकालना आसान नहीं होता। इसलिए जब नाओमी ओसाका, सिमोन बाईल्स और बेन स्टोक्स जैसे लोग आगे आकर कुछ बताएं, तो हमें धैर्य से उन्हें सुनना चाहिए क्योंकि उन्हें जो महसूस हो रहा है वह आज के समाज का प्रतिबिंब है। और, ऐसा सिर्फ ये मशहूर हस्तियां ही नही बल्कि हमारी पीढ़ी भी महसूस कर रही है।’’
अपने शुरुआती सालों से मोटापे से पीड़ित अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor) को भी महसूस होता है कि डिजिटल क्रांति ने सामाजिक हस्तियों पर एक नया दबाव भी बनाया है। 24 घंटे उनके काम समीक्षा होती रहती है। उनकी कामयाबी पर तालियां पीटने वाले एक भी गलती सामने आते ही उनके पीछे हाथ धो कर पड़ जाते हैं। सोशल मीडिया पर टिप्पणियां करने वालों के लिए ये सिर्फ एक टाइम पास है लेकिन किसी के शरीर, मानसिक स्वास्थ्य या किसी प्रतियोगिता में अपेक्षाओं पर खरा न उतर पाने के चलते निशाने पर आए लोगों के लिए कोई एक संवेदनशील टिप्पणी भी घातक हो सकती है। अर्जुन कहते हैं, ‘‘ये सफल हस्तियां हैं जिन्होंने हर दिन अत्यधिक दबाव का सामना किया और अगर ये मानसिक सेहत को प्राथमिकता देने के लिए विमर्श छेड़ रहे हैं तो हमें इसे बहुत ध्यान से सुनना चाहिए। हर मामला एक सा नहीं होता। जब मैं मोटापे से संघर्ष कर रहा था तो मुझे एक ऐसा मोटा इंसान मान लिया गया था जिसे सारी सुविधाएं मिली हुई हैं और जो केवल खाकर मजे कर रहा है। किसी को फिक्र नहीं थी कि मानसिक रूप से मेरे साथ क्या हो रहा है।’’ अर्जुन मानते हैं कि वह ये बात कहने के लिए फिर भी माध्यम पा सकते हैं लेकिन सोचने की जरूरत उन लोगों के बारे में है जिनके पास उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है और वह अपनी बात सोशल मीडिया पर रखते हैं। दूसरों की आलोचना उनके शारीरिक स्वरूप को लेकर करने से पहले अर्जुन सौ बार सोचने की वकालत करते हैं। वह कहते हैं, ‘‘ये बहुत महत्वपूर्ण बातें हैं जो लोग अपने दोस्तों व परिवार के साथ करते हैं। हमें समाज में इनको सामान्य बनाना होगा। डिजिटल दुनिया में हम हमेशा तैयार रहने को मजबूर हैं। हमारे चारों ओर कैमरे लगे रहते हैं और हमें लाइक्स और कमेंट्स के लिए हमेशा सर्वश्रेष्ठ बने रहना पड़ता है। मैं कहता हूं कि जिंदगी लाइक्स और कमेंट्स के आगे भी है। यह हर किसी के लिए आसान नहीं है। इसलिए जब मशहूर हस्तियां इस बारे में बोलती हैं तो उसका दुनिया में मेरे जैसे लोगों पर गहरा असर होता है। इससे लोगों को समझ आता है कि नाजुक होने या सामान्य न होने में कोई हर्ज नहीं। हम सभी को कुछ सीखना है, कुछ भुलाना है और विकास करना है। हर किसी को अपना खुद का सफर तय करने की अनुमति होनी चाहिए।”