नई दिल्ली: देश में अरहर दाल (Tur Dal) की बढ़ती कीमतों को देखते हुए केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है. सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे अरहर दाल के स्टॉक की निगरानी करें और राज्य के सभी व्यापारियों द्वारा जमा किए गए स्टॉक की जानकारी केंद्र सरकार को दें. यही नहीं, राज्यों को मौजूद अरहर स्टॉक के आंकड़े डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के ऑनलाइन मॉनिटरिंग पोर्टल पर अपडेट करने होंगे.
केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि वे अरहल दाल की कीमतों पर काबू पाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 (Essential Commodities Act, 1955) के प्रावधानों को लागू करें. केंद्र सरकार ने त्योहारी सीजन में दालों की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए बफर स्टॉक में रखी 38 लाख टन दालों को खुले बाजार में जारी करने का फैसला किया है. इस स्टॉक में 3 लाख टन चना भी शामिल है.
क्यों बढ़ी कीमतें : फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार अरहर के उत्पादन में इस साल कमी आने की आशंकाओं के कारण देश में अरहर दाल की कीमत बढ़ रही है. प्रमुख उत्पादक राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भारी बारिश और जलभराव से फसल खराब हुई है. दरअसल, खराब मौसम के कारण इन राज्यों में खरीफ की बुवाई में देरी हुई है. यही कारण है कि जुलाई के दूसरे सप्ताह से अरहर की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है.
5 लाख हेक्टेयर में कम हुई है बुवाई : कृषि मंत्रालय ने द्वारा शुक्रवार को जारी खरीफ फसलों की बुवाई के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल महज 42 लाख हेक्टेयर इलाके में अरहर की बुवाई हुई है, जबकि पिछले साल इसकी बुवाई 47 लाख हेक्टेयर में हुई थी. इस तरह पिछले सीजन के मुकाबले अरहर की खेती का रकबा 11 फीसदी कम हो गया है. उपभोक्ता मामलों के विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग सेल के मुताबिक, पिछले दो महीने से अरहर दाल की खुदरा कीमत 100 रुपये प्रति किलो के आसपास चल रही थी, लेकिन इस शुक्रवार को ये कीमत बढ़कर 111 रुपये प्रति किलो हो गई.
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