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नकाब नहीं हटाने पर जज और मुस्लिम वकील के बीच बहस, नहीं हो सकी सुनवाई

December 24, 2024

लद्दाख। जम्मू-कश्मीर (Muslim Female lawyer) और लद्दाख हाई कोर्ट (Ladakh High Court) ने पिछले दिनों एक ऐसी मुस्लिम महिला वकील (Ladakh High Court) की बात सुनने से इनकार कर दिया, जिसने सुनवाई के दौरान अपना चेहरा ढका हुआ था। जब जज ने महिला से नकाब हटाकर चेहरा दिखाने को कहा था, कथित वकील ने चेहरा दिखाने से इनकार कर दिया। इसके बाद जज ने उस मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी कि क्या किसी महिला वकील को चेहरा ढककर किसी मामले की पैरवी करने की अनुमति है। कोर्ट ने उस महिला वकील की बात सुनने से इनकार कर दिया और आगे की तारीख दे दी।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट की जांच करने के बाद हाई कोर्ट की जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी ने 13 दिसंबर को अपने आदेश में कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा निर्धारित नियमों में से किसी में भी ऐसे अधिकार का उल्लेख नहीं है, जिसके तहत कोई भी महिला चेहरे पर नकाब लगाकर या बुर्का पहनकर अदालत में मामले की पैरवी कर सकें।

कोर्ट ने कहा कि BCI की नियमावली के अध्याय IV (भाग VI) की धारा 49(1) (जीजी) में महिला अधिवक्ताओं के लिए अनुमत ड्रेस कोड का विवरण दिया गया है। कोर्ट ने कहा, “इन नियमों में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए इस तरह की कोई पोशाक स्वीकार्य है।”



दरअसल, 27 नवंबर को हाई कोर्ट में कथित तौर पर एक महिला वकील पेश हुई थीं, जिन्होंने अपना नाम सैयद एनैन कादरी बताया था और घरेलू हिंसा से जुड़े एक मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश होते हुए इस मामले को रद्द करने की मांग की। इस दौरान वह कोर्ट रूम में वकील की ड्रेस में थीं लेकिन अपने चेहरे को ढक रखा था। उस समय जस्टिस राहुल भारती मामले की सुनवाई कर रहे थे।

जस्टिस भारती ने तब उस महिला वकील से चेहरे पर से नकाब हटाने को कहा लेकिन कादरी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। महिला वकील ने जोर देकर कहा कि चेहरा ढकना उसका मौलिक अधिकार है और कोर्ट उससे जबरन ऐसा करने को नहीं कह सकता।

इसके बाद जस्टिस भारती ने उस अर्जी पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि मामले में पैरवी के लिए पेश हुई महिला को वकील के तौर पर ना तो विचार कर सकते हैं और न ही नियमों के मुताबिक स्वीकार्य कर सकते हैं क्योंकि चेहरा ढके होने की स्थिति में यह तय नहीं हो सका कि वह महिला कौन है या उसकी पहचान क्या है। कोर्ट ने मामले सुनवाई स्थगित करते हुए आगे की तारीख दे दी और रजिस्ट्रार जनरल से BCI के नियमों के तहत यह पुष्टि करने को कहा कि क्या ऐसा कोई नियम है, जिसके तहत महिला वकील चेहरा ढक कर पेश हो सकें और मामले की पैरवी कर सकें।

अब रजिस्ट्रार जनरल ने बीसीआई के नियमों का हवाले देते हुए कहा है कि ऐसा प्रावधान नहीं है और सभी वकीलों को एक खास पोशाक में कोर्ट रूम में पेश होने का नियम है। हालांकि, बाद में एक और वकील कादरी की जगह याचिकाकर्ता की पैरवी करने पेश हुआ लेकिन कोर्ट ने आगे की तारीख दे दी। अब नई जज जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी ने अपने आदेश में बीसीआई के नियमों का हवाला देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी महिला वकील चेहरा ढक कर या नकाब पहनकर या बुर्के में कोर्ट रूम में पेश नहीं हो सकती।

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