बोलिया सरकार की छत्री का गेरुआ रंग बदलकर भगवा कर डाला
पुरातत्व विभाग के एक्शन पर निगम ने छत्रियों पर जीर्णोद्धार के दौरान रंग करने वाली स्मार्ट सिटी कंपनी को थमाया नोटिस
इंदौर, विकाससिंह राठौर।
शहर की ऐतिहासिक धरोहरों (Historical Heritage) और पुरातत्व विभाग (Archeology Department) द्वारा संरक्षित इमारतों ( Preserved Buildings) में शामिल बोलिया सरकार छत्री (Bolia Sarkar Chhatri) का पिछले तीन सालों से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Smart City Project) के तहत जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है। हाल ही में प्रमुख पुरातत्व इमारतों का निरीक्षण करने इंदौर आईं पुरातत्व आयुक्त शिल्पा गुप्ता (Shilpa Gupta) ने यहां का दौरा किया। इस दौरान छत्री के गुंबद (Gumbad) सहित ऊपरी हिस्से का रंग बदल दिए जाने से वे भडक़ गईं और अधिकारियों की क्लास लगा दी। आयुक्त ने विभाग के उपसंचालक शोभाराम वर्मा को नोटिस भी जारी कर दिया। इसके बाद उपसंचालक ने भी स्मार्ट सिटी कंपनी (Smart City Company) को नोटिस जारी करते हुए छत्री का रंग भगवा (Saffron) से बदलकर मूल रंग (गेरुआ) करने के आदेश दिए हैं। कंपनी अधिकारियों ने जल्द ही रंग बदलने का आश्वासन दिया है।
देश में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में सुविधाओं के विकास के साथ ही ऐतिहासिक इमारतों (Historic Buildings) का जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है। इसी प्रोजेक्ट के तहत इंदौर में 2018-19 में पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित इमारत घोषित राजबाड़ा ( Rajbara) और बोलिया सरकार (Bolia Sarkar ) की छत्री के जीर्णोद्धार का काम भी शुरू किया गया था। इसके लिए पुरातत्व विभाग द्वारा स्मार्ट सिटी कंपनी को विशेष अनुमति दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि जीर्णोद्धार के दौरान इमारतों के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। कंपनी ने बोलिया सरकार छत्री के जीर्र्णोद्धार के तहत मरम्मत करने के साथ ही परिसर में सौंदर्यीकरण, लाइटिंग, पेवर ब्लाक लगाने, गार्डन विकसित करने जैसे काम किए। इसके साथ ही छत्री के गुंबद सहित ऊपरी हिस्सा, जो गंदा हो रहा था, की भी मरम्मत के बाद उस पर कलर किया। लेकिन यह कलर छत्री के मूल रंग जैसा गेरुआ न होकर हलका केसरिया है।
स्थानीय अधिकारियों की थी जिम्मेदारी
छत्रियों का रंग बदले जाने को लेकर आयुक्त ने जब नाराजगी जाहिर की तो स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि स्मार्ट सिटी कंपनी ने रंग में थोड़ा बदलाव कर दिया। इस पर आयुक्त ने कहा कि यह स्थानीय अधिकारियों की ही जिम्मेदारी थी कि वे संरक्षित इमारत में होने वाले हर काम की पूरे समय निगरानी करें और इमारत के मूल स्वरूप में परिवर्तन न होने दें। बताया जा रहा है कि आयुक्त ने इसी आधार पर उपसंचालक को नोटिस जारी किया है।
संरक्षित इमारत के मूल स्वरूप में बदलाव पर है एक साल की जेल का प्रावधान
पुरातत्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मध्यप्रदेश प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम 1964 की धारा 28 (1) के तहत राज्य संरक्षित स्मारक को विनष्ट करने, हटाने, क्षतिग्रस्त करने, परिवर्तित करने, विरूपित करने, खतरे में डालने या दुरुपयोग करने पर एक साल के कारावास या दो हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है। हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा न तो स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ न ही स्थानीय अधिकारियों ने स्मार्ट सिटी कंपनी के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई की है।
तीन करोड़ से संवरना हैं छत्रियां
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बोलिया सरकार की छत्री को संवारने के प्रोजेक्ट पर तीन करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अब तक 90 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। अतिक्रमण जैसी कुछ बाधाओं और लॉकडाउन के कारण काम रुक गया था। जल्द ही जीर्र्णोद्धार का काम दोबारा शुरू किया जाएगा।
बदलेगा छत्रियों का रंग
आयुक्त ने छत्रियों के ऊपरी हिस्से के रंग को मूल रंग से अलग बताते हुए मूल रूप में लाने को कहा है। इस आधार पर स्मार्ट सिटी कंपनी को नोटिस जारी करते हुए छत्रियों का रंग गेरुआ करने के निर्देश दिए हैं। कंपनी अधिकारियों ने इस पर तुरंत सहमति भी दी है। जल्द ही छत्रियों का रंग मूल रूप के अनुसार करने का काम शुरू किया जाएगा।
– शोभाराम वर्मा, उपसंचालक, पुरातत्व विभाग
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