नई दिल्ली (New Delhi) । गूगल (Google) का दायरा केवल गूगल सर्च (google search) तक सीमित नहीं है। गूगल का अपना पूरा इकोसिस्टम है। अगर आप एंड्रॉइड स्मार्टफोन यूजर्स (Android smartphone users) हैं, तो मतलब आप हर तरह से गूगल पर निर्भर हैं। एंड्रॉइड गूगल का ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे ऐपल छोड़कर सभी स्मार्टफोन कंपनियां इस्तेमाल करती हैं। यही वजह है कि आपको हर एंड्रॉइड स्मार्टफोन में गूगल प्ले स्टोर ऐप (google play store app) देखने को मिलेगा। मतलब अगर आपको कोई भी फोन में ऐप डाउनलोड करना है, तो आपको गूगल प्ले स्टोर का सहारा लेना होगा। मतलब गूगल एक तरह से स्मार्टफोन यूजर और ऐप के बीच का गेटवे है। इसके अलावा जीमेल, गूगल मैप समेत कई सारे गूगल के ऐप हैं, जिसका फायदा गूगल को मिलता है।
क्या है विवाद?
साधारण शब्दों में समझें, तो गूगल अपने गूगल प्ले स्टोर पर ऐप को लिस्ट करने के लिए पैसे चार्ज करता है। मतलब अगर आपने एक मोबाइल ऐप बनाया है, तो उसे गूगल प्ले स्टोर पर लिस्ट करना होगा, जहां से हर एक स्मार्टफोन यूजर उस ऐप को डाउनलोड कर पाएगा। इसके लिए गूगल ऐप से पैसे चार्ज करता है। यह चार्ज अलग-अलग होता है। इसी को लेकर विवाद चल रहा है। यह चार्ज 15 से 30 फीसद होता है।
सरकार को देना पड़ा दखल
गूगल की ओर से 1 मार्च को कई सारे ऐप्स को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया। इसकी वजह गूगल बिलिंग सिस्टम को बताया गया। हालांकि गगूल के एक्शन पर सरकार सख्त हुई। इसके बाद ऐप्स की वापसी हुई है। सरकार का कहना है कि वो पूरी तरह से भारतीय स्टार्टअप के साथ है।
क्या है गूगल बिलिंग सिस्टम
Google की तरफ से एक नया बिलिंग सिस्टम लाया गया था, जो कमाई करने वाले ऐप पर लगाया जाता है। मान लीजिए, एक ऐप है शादी डॉट कॉम. यह ऐप सब्सक्रिप्शन बेस्ड है। मतलब अगर आप शादी डॉट कॉम का पेड सब्सक्रिप्शन लेते हैं, तो उससे शॉदी डॉट कॉम के ओनर को फायदा होगा, लेकिन इस फायदे का करीब 15 से 30 फीसद चार्ज गूगल को देना होगा।
क्या नहीं है दूसरा विकल्प
सवाल उठता है कि क्या गूगल के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ऐसा नहीं है मार्केट में सैमसंग समेत PhonePe का Indus ऐप स्टोर है, जहां आप फ्री में अपने ऐप को लिस्ट कर सकते हैं। हालांकि गूगल काफी पॉपुलर है। आज के वक्त में हर स्मार्टफोन में गूगल प्ले स्टोर प्री-इंस्टॉल रहता है। ऐसे में ऐप बनाने वाले स्टार्टअप पॉपुलर प्लेटफॉर्म की तरफ ही रुख करते हैं। साथ ही गूगल का अपना इकोसिस्टम है, जिसे ऐप मेकर को फायदा मिलता है।
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