नई दिल्ली: भारत ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए मेगा डील को मंजूरी दे दी है. सरकार-से-सरकार के बीच यह सौदा 63,000 करोड़ रुपए से अधिक का होगा, जिसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा. इस सौदे के तहत भारतीय नौसेना को 22 एकल-सीटर और 4 दो-सीटर विमान मिलेंगे. इसमें बेड़े के रखरखाव, लॉजिस्टिक सपोर्ट, कार्मिक प्रशिक्षण और ऑफसेट दायित्वों के तहत स्वदेशी मेन्युफेक्चरिंग घटकों के लिए एक व्यापक पैकेज भी शामिल है.
सौदे पर हस्ताक्षर होने के लगभग पांच साल बाद राफेल मरीन जेट की डिलीवरी शुरू होने की उम्मीद है. इन लड़ाकू विमानों को भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा और यह नौसेना के मौजूदा मिग-29के बेड़े का पूरक होगा. भारतीय वायु सेना (IAF) पहले से ही अंबाला और हाशिमारा में अपने ठिकानों पर 36 राफेल जेट ऑपरेट करती है.
नई राफेल मरीन डील वायु सेना की क्षमताओं को बढ़ाने में भी मदद करेगा, जिसमें इसके “बडी-बडी” एरियल रिफ्यूलिंग सिस्टम को अपग्रेड करना शामिल है. यह सुविधा लगभग 10 वायु सेना राफेल विमानों को हवा में ही दूसरों को ईंधन भरने में सक्षम बनाएगी, जिससे उनकी ऑपरेशनल रेंज बढ़ जाएगी.
रक्षा सूत्रों ने पहले बताया था कि इस डील में भारतीय वायुसेना के बेड़े के लिए ग्राउंड-बेस्ड उपकरण और सॉफ्टवेयर अपग्रेड शामिल होंगे. इसके अतिरिक्त, नौसेना को 4.5-पीढ़ी के राफेल जेट के ऑपरेशन का सपोर्ट करने के लिए अपने एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर विशेष उपकरण स्थापित करने की जरूरत होगी, जबकि मिग-29K आईएनएस विक्रमादित्य से ऑपरेट होते रहेंगे.
राफेल मरीन जेट के शामिल होने से नौसेना की हवाई शक्ति में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. इसके अलावा भारतीय नौसेना स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट को भी शामिल करने की योजना बना रही है, जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की ओर से विकसित किए जा रहे हैं.
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