नई दिल्ली । लोकसभा में संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन (संसोधन) विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी। इस विधेयक के तहत एक साल तक सांसदों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। हालांकि, सदन में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान तकरीबन सभी ने वेतन में कटौती का समर्थन तो किया, किंतु उनकी मांग थी कि सांसद स्थानीय विकास निधि (एमपीलैड) में कटौती न की जाए।
लोकसभा में गत दिवस संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने इस विधेयक को चर्चा के लिए पेश किया। चर्चा के दौरान कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने सरकार से आग्रह किया कि (एमपीलैड) के फंड में कोई कटौती न की जाए। उन्होंने कहा कि 2015 से 2020 के बीच 2.69 लाख करोड़ फंड रिलीज किया गया था जिसमें से 2.52 लाख करोड़ खर्च हुआ था। इसका मतलब 93 प्रतिशत पैसा एमपीलैड से खर्च किया जाता है।
अमरावती सांसद नवनीत राणा समेत कई संसद सदस्यों ने कहा कि केन्द्र सरकार चाहे तो उनका पूरा वेतन ले ले, लेकिन सांसद निधि पूरा मिलना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि सरकार हमारा पूरा वेतन ले ले, कोई भी सांसद इसका विरोध नहीं करेगा। लेकिन सांसद निधि पूरी मिलनी चाहिए, जिससे कि जनहित के लिए काम कर सकें।
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के कारण केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत अप्रैल माह में प्रधानमंत्री समेत सभी केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों वेतन में 30 फीसदी की कटौती करने का फैसला लिया था और यह कटौती एक साल तक रहेगी। इसके साथ ही, सांसदों को मिलने वाले सांसद निधि पर भी दो साल के लिए अस्थाई रोक लगाई गई है। इसके लिए 6 अप्रैल को एक अध्यादेश जारी किया गया था जो सात अप्रैल को लागू हुआ था। इस अध्यादेश में कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी के कारण तुरंत राहत और सहायता की जरूरत है और इसलिए कुछ आपात कदम उठाए जा रहे हैं।
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