इंदौर। अंतत: राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना के तहत 13 और एयरपोर्ट (Airport) को निजीकरण के तहत मंजूरी मिल गई है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (authority of india) ने कल निजी निवेश के तहत पीपीपी मॉडल पर इन एयरपोर्ट को विकसित करने का निर्णय लिया और पहली बार छोटे के साथ बड़े एयरपोर्ट का संयोजन किया है। इंदौर के साथ जबलपुर एयरपोर्ट को जोड़ा गया है।
केन्द्र सरकार देश के सभी प्रमुख एयरपोर्ट का निजीकरण कर रही है, ताकि उनका विस्तारीकरण अत्याधुनिक तरीके से किया जा सके। इसके दूसरे चरण में इंदौर सहित वाराणसी, रायपुर, त्रिची, भुवनेश्वर और अमृतसर जैसे 6 प्रमुख एयरपोर्ट लिए गए हैं और इनके साथ छोटे 7 घाटे वाले एयरपोर्ट शामिल किए गए हैं। जैसे इंदौर एयरपोर्ट लगभग साढ़े 4 करोड़ रुपए के लाभ में है, जबकि प्रदेश का जबलपुर एयरपोर्ट सवा 19 करोड़ रुपए के घाटे में है। लिहाजा पीपीपी मॉडल के तहत पहली बार ऐसे एयरपोर्ट का आपस में संयोजन किया गया है। इंदौर के साथ जबलपुर को जोडऩे के अलावा अमृतसर से कांगड़ा एयरपोर्ट, भुवनेश्वर से झारसुगुड़ा, त्रिची से तिरुपति, रायपुर से जलगांव और वाराणसी से गया और कुशी नगर एयरपोर्ट को जोड़ा गया है, ताकि निजी कम्पनियों को घाटे वाले एयरपोर्ट के लिए भी आकर्षित किया जा सके। अगले साल से इंदौर सहित इन सभी 6 एयरपोर्ट का मुद्रीकरण शुरू हो जाएगा। कल एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अगले साल के नवीनीकरण के तहत इन 13 एयरपोर्ट को मंजूरी दी है।
6 एयरपोर्ट अडानी समूह को 50 साल के लिए मिले हैं
केन्द्र सरकार पूर्व में अडानी समूह को 50 सालों के लिए 6 प्रमुख एयरपोर्ट निजीकरण के तहत सौंप चुका है, जिसमें लखनऊ, अहमदाबद, मंगलुरु, जयपुर, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी एयरपोर्ट शामिल हैं। इसके पूर्व भी देश के बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई के एयरपोर्ट को निजी कम्पनियों की मदद से ही विस्तारित किए गए हैं।
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