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सत्ता के केंद्र बने जिलों से संगठन में नियुक्ति का आगाज

January 13, 2025

  • अब आज जगी है बाकी जिलों में अध्यक्ष की नियुक्ति की उम्मीद

इंदौर। बड़ी रास्साकशी के बाद आखिरकार भाजपा ने अपने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू कर दिया। यह सिलसिला सत्ता का केंद्र बने जिलों से शुरू हुआ है। ऐसे में अब आज बाकी जिलों में अध्यक्ष की नियुक्ति की उम्मीद जगी है। भाजपा का जिला अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए बड़े नेताओं के बीच समन्वय बनाने की कोशिश लगातार चल रही है । इन कोशिश के बावजूद नियुक्ति का रास्ता साफ नहीं हो पा रहा है। स्थानीय सरकार से लेकर शीर्ष सरकार तक में भाजपा के होने के कारण जिला अध्यक्ष का महत्व भी बहुत ज्यादा होता है। यही कारण है कि हर नेता अपने समर्थक को इस पद पर बैठा देना चाहता है।

हर स्थानीय नेता भी अपने स्तर पर पूरी ताकत इस पद को पा लेने में लगा रहा है। यही कारण है कि भाजपा संगठन को जिला अध्यक्ष तय करने में पसीने छूट रहे हैं। प्रदेश की राजनीतिक राजधानी भोपाल, आर्थिक राजधानी इंदौर और पुरातन महत्व के शहर जबलपुर, सागर, ग्वालियर में रस्साकशी इतनी ज्यादा है कि उनके चक्कर में बाकी के जिलों के अध्यक्ष की नियुक्ति का रास्ता रुक गया। पिछले 20 साल से मध्य प्रदेश की कमान शिवराज सिंह चौहान के हाथों में थी।

ऐसे में उनका गृह क्षेत्र विदिशा महत्वपूर्ण जिला बन गया था। वर्तमान में प्रदेश की कमल डॉक्टर मोहन यादव के हाथों में है तो अब उनका गृह जिला उज्जैन भी महत्वपूर्ण बन गया है। भाजपा ने संगठन चुनाव में जिला अध्यक्ष की नियुक्ति का काम सत्ता के केंद्र रहे इन दोनों जिलों में अध्यक्ष नियुक्त करके किया है। पार्टी ने उज्जैन में संजय अग्रवाल तो विदिशा में महाराज सिंह दांगी को अध्यक्ष नियुक्त किया है। वैसे पार्टी के बड़े नेताओं का कहना है कि इन दोनों जिलों में यही दोनों नाम सामने थे इसलिए इनकी नियुक्ति कर दी गई है। यदि इन दो जिलों में कोई और दावेदार नहीं था तो इन दोनों नियुक्तियों में भी आखिर इतना वक्त क्यों लग गया है? बहरहाल अब यह उम्मीद की जा रही है की पार्टी के द्वारा आज मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में जिला अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जाएगी।

इंदौर में नया नाम आने के आसार
इतना संघर्ष के बाद अब जाकर भाजपा में जिला अध्यक्ष की नियुक्ति की शुरुआत हुई है। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि आज अधिकांश जिलों के जिला अध्यक्ष नियुक्त कर दिए जाएंगे । इसके साथ ही अभी भी जिला अध्यक्ष पद पर होने वाली नियुक्ति को लेकर धुंध साफ नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में यह उम्मीद की जा रही है कि अब कम से कम इंदौर में तो जिला अध्यक्ष के पद पर नया नाम आ जाएगा। जिन नेताओं के नाम अब तक जिला अध्यक्ष की दौड़ में आगे माने जा रहे थे, वह नेता अब दौड़ में पीछे हो गए हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा के बड़े नेता भी दिल्ली की मंजूरी से भोपाल के द्वारा घोषित किए जाने वाले नाम के प्रतीक्षा करते नजर आ रहे हैं ।

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