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    सरकारी वकीलों की नियुक्ति, धरी रह गई संघ और भाजपा की अनुशंसा

  • August 01, 2024

    • – अब इंदौर में चार अपर महाधिवक्ता, एक ग्वालियर से इंदौर अटैच
    • – न भाजपा के विधि प्रकोष्ठ की चली न ही संघ से जुड़ी अधिवक्ता परिषद की

    इंदौर, विशेष संवाददाता। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में सरकारी वकीलों की नियुक्ति की बहुप्रतीक्षित सूची आखिरकार बुधवार रात जारी हो गई। उच्च स्तर से हुए हस्तक्षेप के बाद ऐनवक्त पर अपर महाधिवक्ता आनंद सोनी दोबारा इस पद पर काबिज होने में कामयाब हो गए। इनके पिता एलएन सोनी भी पहले अपर महाधिवक्ता रह चुके हैं।

    इंदौर को दो नए अपर महाधिवक्ता मिले हैं। इनमें से एक विश्वजीत जोशी और दूसरी सोनम गुप्ता हैं। गुप्ता की नियुक्ति जबलपुर कोटे से हुई है, पर उन्हें आदेश में ही इंदौर अटैच किया जाना उल्लेखित है। एक और अपर महाधिवक्ता अर्चना खेर का कार्यकाल 19 सितंबर तक है। इन्हें मिलाकर इंदौर खंडपीठ में अब चार अपर महाधिवक्ता हो जाएंगे। नए उपमहाधिवक्ता सुदीप भार्गव उज्जैन से हैं। वे कांग्रेस के पूर्व विधायक के पुत्र हैं। इसी परिवार से जुड़े एलजी भार्गव सालों तक स्टेट बार काउंसिल के पदाधिकारी रहे। नई नियुक्तियों की इस सूची ने विधि जगत से जुड़े लोगों के साथ ही संघ और भाजपा को भी चौंकाया है। दोबारा अपर महाधिवक्ता बनने में कामयाब रहे आनंद सोनी के मामले में जरूर संघ को आखिरी समय में भरोसे में लिया गया। वे इस पद पर बरकरार रहें इसके लिए दिल्ली का भी दखल रहा। नए अपर महाधिवक्ता विश्वजीत जोशी और सोनम गुप्ता के नाम भी चौंकाने वाले माने जा रहे हैं। बुधवार रात सूची आने के बाद से अलग-अलग स्तर पर इस बात की पड़ताल शुरू हो गई थी कि आखिर किस कनेक्शन के चलते इन्हें इस अहम पद के लिए मौका मिला है। गुप्ता को जबलपुर मुख्य पीठ में अपर महाधिवक्ता बनाते हुए इंदौर अटैच किया गया है। वर्तमान में इंदौर खंडपीठ में अपर महाधिवक्ता के रूप में सेवाएं दे रहीं अर्चना खेर का कार्यकाल 19 सितंबर तक रहेगा। ऐसे में फिलहाल इंदौर में चार अपर महाधिवक्ता हो जाएंगे।


    भाजपा विधि प्रकोष्ठ ने आपत्ति भी दर्ज कराई
    सूत्रों के मुताबिक इन पदों पर नियुक्तियों के लिए भाजपा के विधि प्रकोष्ठ और संघ से जुड़ी अधिवक्ता परिषद के माध्यम से जो नाम आगे बढ़ाए गए थे उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। सूची जारी होने के बाद भाजपा विधि प्रकोष्ठ से जुड़े लोगों ने इस मामले में अपनी आपत्ति भी दर्ज करवा दी। इतना जरूर हुआ है कि संघ से जुड़े कुछ अधिवक्ता, जो पहले ही शासकीय और उपशासकीय अधिवक्ता का दायित्व निभा रहे हैं, को इस सूची में भी बरकरार रखा गया है।

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