भोपाल। नागरिकों के 105 वर्गमीटर यानी 1129 वर्गफीट तक के आवासीय नक्शे अब आसानी से पास होंगे। उन्हें नगर निगम के न तो चक्कर लगाने पड़ेंगे और न ही आर्किटेक्ट व इंजीनियरों से नक्शा बनवाने के लिए चिरौरी करनी पड़ेगी। आवेदक घर बैठे खुद ही या आनलाइन सेंटर में जाकर आनलाइन आवेदन कर नक्शा पास करा सकेंगे। आवेदकों को सिर्फ आनलाइन बिल्डिंग एप्रूवल सिस्टम (एबीपीएएस-2) के जरिये आवदेन करते हुए शपथ पत्र देना होगा। पोर्टल पर जाकर आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने, निर्धारित शुल्क जमा करना करने व प्लांट संबंधी सभी दस्तावेज आनलाइन जमा करने के बाद 24 से 48 घंटे के भीतर नक्शा स्वीकृति की अनुमति मिल जाएगी। हालांकि दस्तावेज संदिग्ध होने पर नगर निगम का भवन शाखा दस्तावेजों की जांच कर सकता है। दरअसल नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 1129 वर्गफीट तक के प्लाट पर तुरंत बिल्डिंग परमिशन देने के लिए भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन को अंतिम रूप दे दिया है। इस संबंध में राजपत्र में प्रकाशन भी कर दिया गया है। जबलपुर में नक्शा पास कराने का पहला आनलाइन आवेदन भी दर्ज हो चुका है।
छोटे प्लाटधारियों को बड़ी राहत
शासन के इस निर्णय ने छोटे प्लाटधारियों को बड़ी राहत मिलेगी। अभी दो तरह से बिल्डिंग परमिशन जारी होती हैं जिसके तहत मान्यता प्राप्त आर्किटेक्ट या नगर निगम से परमिशन लेनी होती है। आर्किटेक्ट से परमिशन लेने पर फीस के अलावा आर्किटेक्ट की फीस भी चुकानी होती है। 300 वर्गमीटर से ऊपर के प्लाट पर सिर्फ निगम ही परमिशन देता है। नगर निगम में आनलाइन आवेदन के बाद ड्राफ्टसमैन, बाबू, सब इंजीनियर से लेकर सिटी प्लानर तक फाइल जाती है, फिर इसी तरह फाइल वापस आती है। इसके बाद फीस की सूचना जारी होती है। सभी चरणो से गुजरने में कम से कम 25 से 30 दिन लगते हैं। लेकिन इस नए नियम के बाद आवेदकों को खुद आनलाइन प्रक्रिया पूरी करनी होगी और 24 से 48 घंटे के भीतर रसीद मिलते ही भवन निर्माण करा सकेंगे।
इन्हें मिलेगी सुविधा
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के लेआउट और नगर निगम की स्वीकृति वाले भूखंड मालिकों को ये सुविधा मिलेगी। मकान बनाने की फीस आनलाइन जमा करना होगा। एक शपत्र-पत्र देना होगा जिसमें नियम अनुसार मकान का निर्माण करने की बात लिखना होगा। इसके बाद फीस जमा करने की रसीद को ही भवन निर्माण की अनुमति मान ली जाएगी। आवेदक सीधे प्लाट पर निर्माण कार्य कर सकेगा। नए नियम का लाभ केवल व्यक्तिगत भूखंड मालिक को ही मिलेगा। ऐसे कालोनाइजर जो भूखंड व भवन विक्रेताओं को स्वीकृति नहीं मिलेगी।
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