लंदन: प्रीमियम प्रोडक्ट के लिए पॉपुलर कंपनी ऐपल (Apple) कई बार विवादों में आ चुकी है, और अब ऐपल एक नए मुश्किल में फंस गई है. इस बार ऐपल अपने नए ऑपरेटिंग सिस्टम को लेकर ही सवालों के घेरे में आ गई है. दरअसल ब्रिटेन के एक कंज्यूमर राइट्स चैम्पियन जस्टिन गुटमैन ने कंपनी से 750 मिलियन यूरो (लगभग 6161 करोड़ रुपये) का मुकदमा किया है.
गुटमैन का आरोप लगाया है कि ऐपल नए OS के पेश करते ही पुराने आईफोन की परफॉर्मेंस को जान-बूझकर कर धीमा कर देता है. गुटमैन का कहना है कि नए अपडेट आने से पुराने आईफोन स्लो चलने लगते हैं, और इससे कंपनी के नए मॉडल की डिमांड बढ़ जाती है, और लोगों को न चाहते हुए भी अपने पुराने फोन को बदलना पड़ जाता है.
गुटमैन का आरोप है कि कंपनी के सॉफ्टवेयर अपडेट के साथ एक टूल छुपा होता है, जो आईफोन की बैटरी पर असर डालता है, जिससे कि यूज़र्स नए OS अपडेट करें. इस मामले पर BBC के रिपोर्ट में ऐपल के हवाले से बताया गया कि हम कभी भी जान-बूझकर ऐपल के किसी भी प्रोडक्ट की लाइफ को कम नहीं करेंगे, और न ही ग्राहकों के एक्सपीरिएंस को खराब करेंगे. आगे ऐपल ने कहा कि उनका मकसद लोगों के लिए ऐसा प्रोडक्ट बनाना है जो उन्हें पसंद आए और ज़्यादा दिन तक चल सके.
बता दें कि गटमेन ने कम्पीटिशन अपील ट्रिब्यूनर के सामने 25 मिलियन आईफोन यूजर्स को हो रही इस परेशानी के एवज में 768 मिलियन यूरो (लगभग 62995 करोड़ रुपये) की राशि क्लेम की है. गुटमैन का कहना है कि ऐपल ने कभी भी यूजर्स को इस बात की जानकारी दी कि OS अपडेट यूजर के डिवाइस को स्लो कर सकता है. आगे उनका कहना है कि ऐपल ने सॉफ्टवेयर अपडेट में एक टूल छुपाकर लोगों को गुमराह किया, जिसने उनके डिवाइस को 58% तक धीमा कर दिया.
2017 में सामने आया था ये मामला
बता दें कि ये मामला ऐपल आईफोन के लिए साल 2017 में रोल आउट हुए पावर मैनेजमेंट टूल से जुड़ा है, जो पुराने आईफोन की परफॉर्मेंस को सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए स्लो करता है. जब ये मामला सामने आया था तो कंपनी ने यूज़र्स से माफी मांगी थी और बैटरी रिप्लेसमेंट प्रोग्राम में कीमत कने की बात कही थी. इतना ही नहीं ऐपल ने उस समय यूज़र्स को पावर मैनेजमेंट टूल को मैनुअली बंद करने की भी सलाह दी थी.
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