इंदौर। तीन दिन पहले गणेश नगर के रहने वाले किराना व्यापारी दिनेश मौर्य की भंवरकुआं चौराहे के समीप स्थित एप्पल अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौत के बाद उनके परिजनों ने जमकर हंगामा किया था। उनके रिश्तेदार भाजपा नेता कपिल हार्डिया सहित कई लोगों का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टर चौरसिया की लापरवाही से दिनेश मौर्य की जान गई है, जबकि अस्पताल में भर्ती होने से पहले उनकी तबीयत ज्यादा खराब नही थी, सिर्फ घबराहट हो रही थी। अस्पताल में स्टंट डालने के दौरान लापरवाही हुई है और केस बिगडऩे के बाद इलाज करने वाले डॉक्टर चौरसिया ने फोन नहीं उठाया।
यह कोई पहला मामला नहीं था, जब अस्पताल में मौत के बाद आंसू बहा रहे लोगों ने हंगामा किया। इससे पहले भी कई बार अस्पताल वालों के खिलाफ विरोध हुए हैं। एक बार तो रुपयों के लिए शव को बंधक बना लिया था। कोरोना काल के दौरान नरेश सिंह निवासी संगम नगर को भी इलाज के लिए उक्त अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे वायरल से संक्रमित हो गए थे। बाद में उनकी मौत हुई और परिजन शव ले जाने की बात करने लगे तो अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के नाम पर लंबा-चौड़ा बिल थमा दिया और शव ले जाने से रोक दिया। तब भी नरेश के परिजनों ने जमकर विरोध किया और आरोप लगाया कि अस्पताल वालों ने सही से उपचार नहीं किया। उन्होंने अस्पताल वालों पर यह भी आरोप लगाया था कि जिन दवाई-गोलियों और इंजेक्शन की बाजार में किल्लत चल रही है, उसकी कालाबाजारी की जा रही है। एक मामले में अस्पताल वालों द्वारा मरीज को लंबा-चौड़ा बिल देने पर अस्पताल वालों को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नोटिस भी दिया गया था। यहां तक कि मेडिकल दुकान भी सील कर दी गई थी।
महंगी दवाइयां अस्पताल के मेडिकल से खरीदने को करते हंै मजबूर
सन 2022 में एप्पल अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगे थे कि मरीज के परिजनों को महंगी दवाइयां अस्पताल के मेडिकल स्टोर से खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसकी शिकायत जिला प्रशासन सें की गई तो ड्रग इंस्पेक्टर ने मेडिकल स्टोर पर जांच भी की और स्टोर को सील किया गया। तत्कालीन कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधन पर भी कार्रवाई के लिए निर्देश दिए थे।
सरकारी डॉक्टरों द्वारा इलाज करने के भी आरोप
एप्पल अस्पताल में बाहर से आने वाले निजी डॉक्टरों के साथ सरकारी डॉक्टरों द्वारा इलाज करने के भी आरोप लगे थे। तीन सरकारी डॉक्टरों को वहां इलाज करने जाने के दौरान नोटिस भी दिया और जवाब मांगा था। यह सरकारी डॉक्टर और अन्य निजी डॉक्टर मोटी फीस वसूल कर इलाज कर रहे थे।
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