नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाए जाने के आज दो साल पूरे हो गए हैं। सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया। इन दो सालों में जम्मू-कश्मीर ने बदलाव के कई चरण देख लिए हैं। यहां विकास और रोजगार (growth and employment) बढ़ाना सरकार के प्रमुख एजेंडों में एक है। परिसिमन आयोग (delimitation commission) ने काम शुरु कर दिया है जिसकी रिपोर्ट के बाद राज्य में चुनाव कराए जाएंगे। वहीं प्रदेशवासियों को इंतजार है कि अब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक सिलसिलेवार आपको बताते हैं कि 370 हटने के बाद कैसा है नया जम्मू-कश्मीर।
- हर सरकारी भवन पर अब तिरंगा लहराता है।
- जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी दर 10.3-10.4 फीसदी के आसपास है। यह गोवा, दिल्ली और राज्सथान से बेहतर है।
- ‘बैक टू विलेज’ कार्यक्रम से ग्रामीण इलाकों में 50 हजार लोगों को स्व रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। 19 हजार से ज्यादा लोगों को ऋण दिया जा चुका है, जिनमें 4500 महिलाएं हैं। इस योजना में महिलाओं और युवाओं पर फोकस रखा गया है।
- न्यू इंडस्ट्रियल स्कीम के तहत राज्य को 28 हजार चार सौ करोड़ का इंसेटिव दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस तरह की उद्योग नीति किसी प्रदेश के पास नहीं है।
- सरकार को प्रदेश में 45-50 हजार निवेश आने की उम्मीद है, जिससे आठ से नौ लाख लोगों को रोजगार दिया जा सकता है।
- पथराव 85 फीसदी तक घट गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक 2019 में 1990 से अधिक पथराव की घटनाएं हुई थीं। वहीं 2020 में ऐसी 250 घटनाएं रिपोर्ट हुई।
- प्राइम मिनिस्टर डेवलपमेंट प्लान के तहत उसका व्यय अब बढ़कर 67 फीसदी हो गया है।
- जम्मू-कश्मीर में अब आईआईटी, आईआईएम है।
- दो-दो केंद्रीय विश्वविद्यालय है, निफ्ट है।
- दो एम्स का निर्माण हो रहा है।
- दो कैंसर इंस्टीच्यूट बन रहे हैं।
- सात पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेज बन रहे हैं।
- बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज के साथ मिलकर एक 360 डिग्री फाइनेंसियल सर्विस की ट्रेनिंग युवाओं को दी जा रही है।
- टाटा टेक्नोलॉजी के सहयोग से कौशल विकास का काम चल रहा है।
- महिला उद्यमियों के लिए ‘हौसला’ योजना बनाई गई है।
- सरकार की प्राथमिकता कश्मीरी पंडितों को प्रदेश में बसाना है। कश्मीरी पंडितों के लिए वन रुम सेट वाले 1800 फ्लैट बन रहे हैं।
- जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद केंद्र ने वहां सत्ता के विकेंद्रीकरण के प्रयास तेज किए। इसके तहत ही वहां पहले पंचायत और फिर बीडीसी चुनाव कराए गए।
- यहां के निवासी बनने के नियमों में बदलाव किया गया है। अब दूसरे राज्यों के ऐसे पुरुषों को वहां का स्थायी निवासी बनाने की व्यवस्था की गई है, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की लड़की से शादी की है। अभी तक ऐसे मामलों में महिला के पति और बच्चों को जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं माना जाता था।
- केंद्र ने घाटी से बाहर के लोगों को कश्मीर में गैर-कृषि योग्य जमीन खरीदने की अनुमति दे दी है। पहले जम्मू-कश्मीर के लोग ही ऐसा कर सकते थे।
- प्रशासन को जवाबदेह बनाया जा रहा है। सिटिजन चार्टर लागू किया है। हर काम के लिए एक समय-सीमा तय की गई है।