नई दिल्ली । कोलकाता (Kolkata)में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर(Rape and murder of a trainee doctor) के मामले में कपिल सिब्बल(Kapil Sibbal) घिरते नजर आ रहे हैं। असल में कपिल सिब्बल(Kapil Sibbal) ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष के तौर पर एक प्रस्ताव जारी किया था। इसमें उन्होंने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई रेप की घटना को बड़ी बीमारी बताया था। कहा जा रहा है कि कपिल सिब्बल के इस प्रस्ताव से कोलकाता के जघन्यतम केस का सामान्यीकरण हो रहा है। इसको लेकर ही सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने कपिल सिब्बल को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कपिल सिब्बल से माफी मांगने को कहा है। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की चेतावनी दी है।
अग्रवाल ने अपने पत्र में लिखा है कि कपिल सिब्बल द्वारा जारी प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की एग्जीक्यूटिव कमेटी द्वारा अप्रूव नहीं था। इस तरह से यह प्रस्ताव अवैध है। अग्रवाल ने सिब्बल पर अपने पद का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि इस तरीके से वह घटना को कमतर करके दिखा रहे हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करके और इस तरह के बयान देकर हितों के टकराव का भी आरोप लगाया। उन्होंने पत्र में लिखा है कि आप सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। बतौर वकील, आपको मामलों को स्वीकार करने और बहस करने का पूरा अधिकार है। 21 अगस्त, 2024 को आपने एससीबीए का एक कथित प्रस्ताव जारी किया। इसमें आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना को बीमारी जैसा बताया गया है। साथ ही कहा गया कि प्रस्ताव आशा करता है कि देश भर में हुई ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
अग्रवाल ने अपने पत्र में कहा कि इस तरह का बयान शरारतपूर्ण, खतरनाक, असंवेदनशील और बलात्कार-हत्या पीड़िता और लाखों डॉक्टरों, प्रशिक्षुओं और छात्रों के साथ घोर अन्याय है। यह लोग अभी भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और सुरक्षित कामकाजी माहौल की मांग कर रहे हैं। पत्र में आगे कहा गया है कि कपिल सिब्बल इस प्रस्ताव को वापस लें और 72 घंटे के अंदर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। ऐसा नहीं करने पर सिब्बल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। अग्रवाल के पत्र में आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले की गंभीरता को कम करने के प्रयास के लिए सिब्बल की आलोचना की गई है। इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन कई सदस्यों ने भी इस प्रस्ताव को लेकर चिंता जताई थी।
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