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    शिप्रा नदी के अलावा 7 जल संरचना लेकिन संरक्षण के अभाव में दम तोड़ रही

  • March 22, 2024

    File Photo

    • विश्व जल दिवस आज : शिप्रा नदी प्रदूषण की शिकार तो 7 सागर अतिक्रमण का शिकार

    उज्जैन। प्राचीन काल में राजाओं ने उज्जैन को जल समृद्ध बनाने के लिए शिप्रा नदी के अलावा 7 जल संरचनाएं शहर के आसपास बने लेकिन यह जल संरचनाएं प्रदूषण तथा अतिक्रमण का शिकार हो गई और इनसे पर्याप्त मात्रा में जल नहीं मिल पाता है। ऐसे में उज्जैन में गंभीर डेम के अलावा नई जल संरचनाएँ विकसित करना अति आवश्यक है।



    उज्जैन में यूं तो शिप्रा नदी के अलावा 7 सागर और गंभीर डेम है। एक शहर के लिए यह पर्याप्त जल संरचना है, पर शहर का सबसे बड़ा जल स्रोत शिप्रा नदी प्रदूषण का शिकार है। उज्जैन शहर के नाले तो इसमें मिलते ही हैं, साथ ही कान्ह नदी का औद्योगिक प्रदूषण का रसायन युक्त पानी प्रतिदिन मिल रहा है और शिप्रा के पानी को जहरीला बना दिया है। यह पानी इस तरह प्रदूषित हो चुका है कि आचमन के योग्य भी नहीं बचा है। पानी में ऑक्सीजन की कमी के कारण मछलियाँ तक मर रही हैं। शिप्रा नदी के हाल यह है कि चक्रतीर्थ बड़े पुल के बाद पानी बदबू मारता है, वहीं शहर के आसपास के 7 सागरों की बात करें तो क्षीरसागर के हाल यह है कि यहाँ अब तक आसपास के ड्रेनेज का पानी निगम प्रशासन नहीं रोक पाया है और सागर पर लगे फव्वारें भी बंद पड़े रहते हैं। इसके अलावा नलिया बाखल में पुष्कर सागर है जो एक बावड़ी में तब्दील हो चुका है। इस सागर की पूरी जमीन अतिक्रमण का शिकार हो चुकी है और यहाँ सैकड़ों मकान बन चुके हैं, वहीं गोवर्धन सागर की बात करें तो अभी तक मामला एनजीटी और कोर्ट के बीच उलझा हुआ है। इसका विकास अभी तक शुरू नहीं हो पाया, जबकि टेंडर हो चुके हैं। विष्णु सागर को थोड़ा सा भरा गया लेकिन अभी इसकी स्थिति काफी खराब है। यहाँ पूरे क्षेत्र में अंधेरा पसरा रहता है, वहीं ईदगाह के पास पुरुषोत्तम सागर है। यहाँ पर आसपास फुटपाथ एवं बाउंड्री वॉल जरूर बनवाई गई है लेकिन इस सागर का पानी भी पीने योग्य नहीं हैं। इसके अलावा रत्नाकर सागर एवं रुद्र सागर की स्थिति थोड़ी ठीक है। पेयजल के मामले में शहर पूरी तरह गंभीर डेम पर निर्भर हैं। जबकि गंभीर डेम 1980 की जनसंख्या के हिसाब से बनाया गया था और विगत 44 वर्षों में शहर की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है और पानी के लिए कोई विशेष प्रयास प्रशासन ने नहीं किए हैं। ऐसे में गंभीर डेम के एक और विकल्प की जरूरत शहर को है और यह बनाना बहुत आवश्यक है, नहीं तो आने वाले दिनों में शहर में पेयजल की समस्या तेजी से बढ़ेगी, क्योंकि भूजल का उपयोग शहर के 50 प्रतिशत नागरिक कर रहे हैं और भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। आने वाले दिनों में इन सब विकल्पों पर चर्चा करनी होगी तभी जल दिवस मनाना सार्थक होगा।

    इस साल की स्थिति खराब है
    पेयजल के लिए गंभीर डेम पर शहर निर्भर हैं। पूरी क्षमता से गंभीर भरा हुआ था लेकिन आज की स्थिति में 886 एमसीएफटी पानी यहाँ संग्रहित है और अभी पूरे 100 दिन निकालना है और 7 एमजीएफटी प्रतिदिन के मान से भी जोड़ें तो 700 एमसीएफटी से अधिक पानी चाहिए और गंभीर डेम में जो पानी की गणना हो रही है इसमें से 100 से 150 एमसीएफटी डेड स्टोरेज माना जाता है। इस प्रकार कुल 700 एमसीएफटी पानी ही है और अप्रैल माह से तेज गर्मी शुरू होगी और ऐसे में पानी का वाष्पन तेजी से होगा, इसलिए इस बार भी शहर को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

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