नई दिल्ली । मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Chief Minister Rekha Gupta) ने कहा कि दिल्ली के स्कूलों में (In Delhi schools) किसी भी तरह की मनमानी (Any kind of Arbitrariness) स्वीकार नहीं की जाएगी (Will not be Tolerated) । सीएम ने कहा कि अगर सिस्टम को फॉलो नहीं किया जाएगा तो सख्त एक्शन लिया जाएगा। सीएम गुप्ता ने अभिभावकों को फिक्र न करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “अगर कोई स्कूल गलत तरीके से फीस बढ़ाना चाहेगा, बच्चों और अभिभावकों को परेशान करेगा, तो यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
मुख्यमंत्री गुप्ता ने आगे कहा, “दिल्ली में स्कूल चलाने के लिए सिस्टम है, जिसे फॉलो करना पड़ेगा। हमें जिन स्कूलों की शिकायत आई हैं, उन्हें बताया कि अगर आपकी लापरवाही जारी रही तो स्कूल का रजिस्ट्रेशन भी रद्द हो सकता है।” मुख्यमंत्री ने नियमों का हवाला देते हुए कहा, “हम एक बहुत सख्त कानून लाने की तैयारी में हैं, जिसमें स्कूलों को नियमों का पालन करना पड़ेगा। अगर नियमों का पालन नहीं करते हैं तो जरूरी नहीं कि वह स्कूल दिल्ली में चले।”
स्कूलों की मनमानी के खिलाफ सीएम लगातार मुखर रही हैं। हाल ही में उन्होंने अपने एक्स पोस्ट के जरिए चिंता भी जाहिर की थी। उन्होंने बताया, “जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान ऐसे मामले सामने आए जिसमें बच्चों के परिजनों ने गलत तरीके से फीस वसूली और बच्चों को स्कूल से निकाले जाने की शिकायत दर्ज की। इस विषय पर तुरंत संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को तत्काल जांच कर कड़ी और आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।”उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, समान अवसर और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। किसी भी प्रकार का अन्याय, शोषण या अनियमितता को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है-इसमें कोई ढिलाई स्वीकार नहीं की जाएगी।
बता दें, अभिभावकों की शिकायत के बीच दिल्ली सरकार ने फीस बढ़ोतरी मामले में करीब 600 स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट ली और 10 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों के फीस बढ़ाने के खिलाफ माता-पिता और अभिभावक लंबे समय से शिकायत कर रहे हैं। कई ऐसी शिकायतें आईं जिसमें स्कूलों पर दबाव डालने का भी आरोप लगा और बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रवेश पत्र देने से इनकार समेत नाम काटने की धमकी देना तक शामिल था।
शिक्षा निदेशालय (डीओई) के एक बयान के अनुसार, शिकायतों की जांच के लिए जिला स्तरीय समितियां बनाई गई हैं। उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की अध्यक्षता वाली इन समितियों में शिक्षा उपनिदेशक, लेखा अधिकारी और सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य शामिल हैं।
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