लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं
मैं ने उस हाल में जीने की क़सम खाई है।
अमीर कज़़लबाश का ये शेर जैसे फऱीद बज़मी साब के किरदार पे खरा उतरता है। फरीद भाई कोई ढाई-तीन बरसों से आहार नली के कैंसर से लड़ रहे हैं। वो पांच महीने से पालीवाल अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी जगह कोई और होता तो कब का चटपट हो जाता। फरीद भाई का किरदार शुरु से ही फाइटर का रहा है। मियाँ खां ने जि़न्दगी के तमाम नशेबोफराज़ से कभी हार नहीं मानी। फिलहाल इनकी तबियत का हाल ये है कि नाक में राईल ट्यूब डली हुई है। बमुश्किल कुछ लिक्विड फ़ूड ले पाते हैं। अपनी खनकदार आवाज़ के लिए मशहूर फरीद भाई अब बहुत ही मध्धम आवाज़ में कुछ बोल पाते हैं। फरीद भाई इसी 31 मार्च को पीएचक्यू से लाइब्रेरियन (डीएसपी का दर्जा) के ओहदे से सुबुकदोश (रिटायर) हुए हैं। इस फोटो में फरीद बज़मी के साथ एडीजी (प्रशिक्षण) अनुराधा शंकर जिस किताब का विमोचन उनसे करवा रही हैं उस किताब का संकलन फरीद भाई ने ही किया है। वो भी सख्त अलील रहते हुए। इस किताब का कुछ हिस्सा तो इन्होंने पिछले बरस कैंसर अस्पताल में भर्ती रहते हुए पूरा किया।
मालूम हो के पुलिस रेगुलेशन एक्ट में वक्तन-फवक्तन तरमीम (संशोधन) किए जाते हैं। पुलिस एक्ट के उन तमाम बदलावों को अपडेट करने की ज़रूरत लंबे वक्त से महसूस की जा रही थी। इस काम को फरीद भाई ने खुद पहल करके अपने हाथ मे लिया। उन्होंने अपनी अलालत के बावजूद इस कठिन अहम काम को अपने हाथ मे लिया और पुलिस एक्ट के सभी संशोधन को समेकित करते हुए उसे किताब की शक्ल दी। ज़ाहिर है ये किताब पुलिस महकमे के हर कर्मचारी और अफसरों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। एडीजी अनुराधा शंकर इस किताब की कई प्रतियां लेकर पालीवाल अस्पताल पहुंचीं। उन्होंने बिस्तर पर लेटे फरीद भाई से इस किताब का इजरा करवाया। किताब पे फऱीद भाई ने अपनी नेक ख्वाहिशात लिखीं। किताब की शक्ल में अपनी मेहनत को कामयाब होते देख फऱीद भाई के चेहरे पे चमक आ गई। अपने दर्द को भूल कर वो बहुत खुश हो गए। उनके जज़्बात और चेहरे के भाव बता रहे थे जैसे वो बहुत कुछ कहना चाहते हों लेकिन बोल नहीं पा रहे हों। बहरहाल धीमी आवाज़ में उन्होंने अनुराधा मेडम का शुक्रिया अदा किया। इस मौके पे मध्यप्रदेश पुलिस अकादमी के डिप्टी डायरेक्टर मलय जैन, एडिशनल डीसीपी महावीर मुजाल्दे, एआईजी इरमीन शाह सहित फऱीद भाई की शरीके हयात और बेटी भी मौजूद थीं। फऱीद भाई आपके जज़्बे को सूरमा का सलाम।
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