शिमला। प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर इन दिनों पहाड़ों की रानी शिमला में सुकून के पल बिता रहे हैं। शिमला में जन्मे अनुपम खेर (65) ने शुरुआती जिंदगी के 20 साल यहीं बिताए हैं। आज वह बॉलीबुड में हिंदी फिल्मों के सफल अभिनेता हैं।
शनिवार सुबह अनुपम खेर अचानक आकाशवाणी केंद्र शिमला पहुंचे, तो आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारी चकित रह गए। अनुपम खेर को अपने बीच पाकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आकाशवाणी में अनुपम खेर का लाइव कार्यक्रम प्रसारित किया गया। इस दौरान अनुपम खेर ने अपनी पुरानी यादों को साझा किया। अनुपम खेर ने बताया कि कैसे 47 साल पहले उन्हें आकाशवाणी शिमला ने आकस्मिक उद्घोषक के रूप में खारिज कर दिया था।
शनिवार को 11.30 बजे आकाशवाणी शिमला पर लगभग तीन मिनट के लाइव कार्यक्रम में अनुपम खेर ने बताया कि दिसम्बर 1974 में जब शिमला में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी तब वह आकस्मिक उद्घोषक के रूप में अपना पहला कार्यक्रम करने गए। कार्यक्रम के दौरान उनकी आवाज थोड़ी लड़खड़ा गई थी। इससे ड्यूटी ऑफिसर उसके पास आया और कहा, “मैं आपके पैर छूता हूं, कृपया फिर से आकाशवाणी शिमला न आएं।”
अनुपम खेर ने बताया कि इस घटना से उन्हें इसका कोई मलाल नहीं है क्योंकि कई मर्तबा असफलताएं सफलता की सीढ़ी पर पहला कदम बन जाती हैं। उन्होंने कहा कि आज मैं आकाशवाणी केंद्र आया हूं और स्वयं को सफल महसूस कर रहा हूं।
अनुपम खेर ने आगे कहा कि अगर आकाशवाणी उन्हें खारिज नहीं करती, तो उन्होंने ड्रामा स्कूल में दाखिला नहीं लिया होता और उस मुकाम पर नहीं पहुंचते, जहां वे अभी हैं। लाइव कार्यक्रम में शनिवार को अनुपम खेर ने आकाशवाणी केंद्र शिमला की आकस्मिक उद्घोषक रीना के साथ बातचीत करते हुए अपनी यादें साझा की।
इस दौरान अनुपम खेर को उनकी मां दुलारी खेर का फेवरिट सांग हम दोनों फिल्म का “अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम, सबकी सनमती दे भगवान” गाना चलाया गया।
आकाशवाणी केंद्र शिमला के कार्यक्रम प्रमुख उमेश कश्यप ने बताया कि बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर शनिवार को आकाशवाणी केंद्र शिमला आये और उन्होंने एक छोटी अवधि के साक्षात्कार के दौरान अपनी पुरानी यादें सांझा की। ये पूर्व नियोजित साक्षात्कार नहीं था।
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