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    27 साल पुराने हत्याकांड के लिए अनुपम दुबे को मिली उम्रकैद, करोड़ो की अकूत संपत्ति की है इकट्ठी

  • December 08, 2023

    कानुपर (Kanupar) । 27 साल पुराने इंस्पेक्टर हत्याकांड (inspector murder case) में बसपा के पूर्व बाहुबली नेता और माफिया अनुपम दुबे (Anupam Dubey) को उम्रकैद की सजा (life sentence) सुनाई गई है. अनुपम दुबे पर हत्या, डकैती, लूट, गैंगस्टर सहित गंभीर धाराओं के 63 मुकदमे दर्ज हैं. अनुपम पहले से ही मथुरा जेल में बंद है. पुलिस-प्रशासन उसकी व उनके परिजनों की 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति कुर्क कर चुका है. आइए जानते हैं कैसे अनुपम दुबे ने जरायम की दुनिया में रखा कदम और देखते ही देखते बन गया यूपी का बड़ा माफिया…

    बता दें कि अनुपम दुबे फर्रुखाबाद के फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला कसरट्टा का रहने वाला है. उसके खिलाफ पहला मुकदमा साल 1987 में मारपीट का दर्ज हुआ था. फिर इसी साल चौराहे के पास एक दुकानदार पर उसने फायरिंग कर दी थी. इसके बाद उसपर जानलेवा हमले का केस दर्ज कराया गया और साल 1991 और 1994 में मर्डर के दो मुकदमे दर्ज हुए.


    गिरफ्तारी होने से पहले अनुपम के खिलाफ करीब 40 मुकदमे दर्ज हो चुके थे. जिनमें गैंगस्टर, गुंडा एक्ट, एनडीपीएस जैसे गंभीर केस शामिल रहे. जेल जाने के बाद कई और पीड़ित सामने आए और अनुपम पर धोखाधड़ी, अपहरण जैसे मुकदमे दर्ज करवाया. हालांकि, तब तक माफिया अनुपम दुबे ने जरायम की दुनिया से अकूत संपत्ति इकट्ठी कर ली थी.

    राजनीति में आजमाया हाथ, लेकिन नहीं मिली सफलता
    दबंगई से जिले में दबदबा कायम करने के बाद अनुपम ने राजनीति में हाथ अजमाया. शुरुआत बसपा से की. नगरपालिका का चुनाव लड़ा लेकिन हार गया. इसके बाद निर्दलीय विधायकी का चुनाव सदर सीट से लड़ा. करीब 14 हजार वोट मिले और वह ये चुनाव भी हार गया.

    लेकिन अनुपम रुका नहीं. इस बार उसने हरदोई से विधानसभा का चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ने का फैसला किया. इस चुनाव में उसे लगभग 60 हजार वोट मिले थे. हालांकि, जीत नहीं नसीब हुई. लेकिन वो अपने भाई को अमित दुबे को मोहम्मदाबाद का ब्लॉक प्रमुख बनवाने में कामयाब रहा.

    2021 में इंस्पेक्टर रामनिवास हत्याकांड में बुरा फंसा
    इंस्पेक्टर रामनिवास यादव उस वक्त फर्रुखाबाद में तैनात थे. 14 मई को वो एक केस के सिलसिले में गवाही देकर ट्रेन से कानपुर जा रहे थे. इस केस में अनुपम दुबे और उसके साथी आरोपी थे. अनुपम ने इंस्पेक्टर पर गवाही न देने का दबाव बनाया था. लेकिन इंस्पेक्टर नहीं माने.

    जिसपर अनुपम के गुर्गों ने ट्रेन में ही इंस्पेक्टर रामनिवास की हत्या कर दी. इसके बाद मामले में एफआईआर दर्ज की गई. जिसमें 27 साल बाद कल (7 दिसंबर) फैसला आया. अनुपम दुबे को छोड़कर इस केस में बाकी के दो आरोपियों की मौत हो चुकी है. अब अनुपम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

    मालूम हो कि 14 जुलाई 2021 को इंस्पेक्टर रामनिवास हत्याकांड में जीआरपी कानपुर के द्वारा कुर्की की कार्रवाई किए जाने पर माफिया अनुपम दुबे ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था. उसके बाद से वो फतेहगढ़, मैनपुरी, फिरोजाबाद, आगरा जेल में बंद रहा. वर्तमान में अनुपम मथुरा जिला जेल में बंद है. फिलहाल, पुलिस व प्रशासन माफिया व उसके परिजनों की 100 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर चुकी है. वहीं, उसका भाई फरार है. उसपर 50 हजार का इनाम है.

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