नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा (gujarat assembly) ने बुधवार को काले जादू, मानव बलि जैसी अन्य तमाम अंधविश्वासी और अमानवीय प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया, जिसमें ऐसा करने वालों के लिए अधिकतम 7 साल की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। विधेयक के अनुसार ऐसे सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे, जिनकी सुनवाई न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा की जाएगी।
इस विधेयक का नाम ‘गुजरात मानव बलि और अन्य अमानवीय, दुष्ट, अघोरी गतिविधि और काला जादू रोकथाम व उन्मूलन विधेयक, 2024’ है, जिसे मॉनसून सत्र के पहले दिन राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने पेश किया। राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस बिल का समर्थन किया, जिसके बाद अब इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
इससे पहले इस महीने की शुरुआत में, राज्य की भाजपा सरकार ने गुजरात हाई कोर्ट को बताया था कि वह काले जादू की प्रथाओं और अघोरी गतिविधियों के खिलाफ एक विधेयक लाएगी। यह आश्वासन उस जनहित याचिका के जवाब में आया था, जिसमें बाबाओं और ढोंगियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
संघवी ने कहा, ‘इसलिए, सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह इन हानिकारक और अमानवीय प्रथाओं के बुरे प्रभावों और प्रसार को प्रभावी ढंग से रोकने और खत्म करने के लिए उचित और सख्त कदम उठाए, ताकि आम लोगों को काला जादू करने वालों और इसके नाम पर उन्हें झांसा देने वाले ठगों से बचाया जा सके।’
विधेयक के अनुसार, कोई भी व्यक्ति मानव बलि और अन्य अमानवीय, शैतानी और अघोरी गतिविधियों व काले जादू को न तो खुद करेगा और न ही उन्हें बढ़ावा देगा। साथ ही इस विधेयक में ऐसे अपराधों में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 6 महीने से लेकर 7 साल की कैद की सजा देने और 5 हजार रुपए से लेकर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
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