नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में एक और घोटाले का दावा किया जा रहा है. दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में नकली दवाएं मिली हैं. एलजी दफ्तर ने कहा कि अस्पताल में जांचे गए 10% नमूने फेल साबित हुए हैं. दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है. बताया जा रहा है कि विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने यह एक्शन लिया है.
विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट को आधार बनाकर CBI जांच की सिफारिश करते हुए दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव को लिखे नोट में कहा है कि यह चिंताजनक है. ये दवाएं लाखों मरीजों को दी जा रही हैं. दवा की खरीद में भारी बजट आवंटन पर भी चिंता जताई है.
विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट कहती है कि सरकारी प्रयोगशालाओं में भेजे गए 43 नमूनों में से 3 नमूने विफल रहे क्योंकि 12 रिपोर्ट अभी भी लंबित हैं. निजी प्रयोगशालाओं में भेजे गए अन्य 43 नमूनों में से 5 नमूने विफल हो गए हैं और 38 नमूने मानक गुणवत्ता के पाए गए हैं.
विजिलेंस विभाग ने सिफारिश की है कि चूंकि 10 फीसदी से ज्यादा सैंपल फेल हो गए हैं, इसलिए विभाग को सैंपलिंग का दायरा बढ़ाना चाहिए. दवाएं सरकार की केंद्रीय खरीद एजेंसी द्वारा खरीदी गईं और सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों को आपूर्ति की गईं.
Amlodipine, Levetiracetam, Pantoprazole नाम की दवाएं सरकारी और निजी दोनों लैब टेस्ट में फेल हो गई हैं. इतना ही नहीं, Cephalexin, Dexamethasone भी निजी लैब में फेल हो गए हैं. 11 सैंपल की रिपोर्ट चंडीगढ़ की सरकारी लैब में पेंडिंग है. रिपोर्टों का निष्कर्ष है कि जो दवाएं विफल हो गई हैं, वे “मानक गुणवत्ता की नहीं” हैं.
बहरहाल, नकली दवा मामले में CBI जांच की सिफारिश पर दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अभी मेरे पास इसकी कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि उसकी पूरी जानकारी जुटाकर सरकार अपना रुख साफ करेगी. गोपाल राय ने कहा कि वैसे CBI की जांच की सिफारिश हर तीसरे दिन होती है, लेकिन उन जांच में कुछ निकलता नहीं है. इससे दिल्ली के काम प्रभावित होते हैं. जहां-जहां की फाइल CBI के पास चली जाती है, वहां अधिकारी काम करना बंद कर देते हैं.
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