वॉशिंगटन। ट्रंप प्रशासन ने एक अहम फैसले में मूल निवासी अमेरिकी बोर्डिंग स्कूलों में मूल निवासी बच्चों के साथ हुए उत्पीड़न का डिजिटलीकरण करने के प्रोजेक्ट की फंडिंग रोक दी है। ट्रंप प्रशासन ने इस मद में आवंटित धन में करीब 16 लाख डॉलर की कटौती की है। नेशनल नेटिव अमेरिकन बोर्डिंग स्कूल हीलिंग कोएलिशन की सीईओ डेबोरा पार्कर ने सरकार के फैसले की आलोचना की है।
उन्होंने कहा, ‘अगर हम अमेरिका को फिर से महान बनाना चाहते हैं, तो मुझे लगता है कि इसकी शुरुआत सच्चे अमेरिकी इतिहास के बारे में सच्चाई बताने से होनी चाहिए।’ कटौती के नेटिव बोर्डिंग स्कूल रिकॉर्ड के 100,000 से अधिक पृष्ठों को डिजिटल करने का काम रुक गया। पार्कर ने कहा कि देश भर के मूल अमेरिकी अपने प्रियजनों को खोजने के लिए इस साइट पर निर्भर हैं, जिन्हें इन बोर्डिंग स्कूलों में भेजा गया।
नेटिव अमेरिकन बोर्डिंग स्कूल को अमेरिकन रेजीडेंशियल स्कूल भी कहा जाता है। इन्हें 17वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था। इन स्कूलों का मकसद अमेरिका के मूल निवासियों को आधुनिक अंग्रेजी शिक्षा और संस्कृति सीखाना था। इन स्कूलों को ईसाई मिशनरियों द्वारा स्थापित किया गया था। आरोप है कि इन स्कूलों के जरिए मूल निवासियों की संस्कृति और उनकी भाषा को खत्म किया गया। मूल निवासियों के बच्चों को उनके घरों से पकड़कर इन बोर्डिंग स्कूलों में रखा जाता था। आरोप है कि इन स्कूलों में मूल निवासियों के बच्चों का उत्पीड़न किया गया। इस दौरान 973 मूल निवासी बच्चों की इन स्कूलों में मौत भी हुई।
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