नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना संक्रमण (corona infection) को डेढ़ साल से अधिक का समय बीत चुका है। इस दौरान कोरोना की आई दो लहरों में संक्रमण के शिकार हुए लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना के सामने आ रहे नए वैरिएंट्स (new variants) ने विशेषज्ञों की चिंता और बढ़ा दी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने हाल ही में बताया कि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट (Delta Variants of Corona) ने दुनिया के तमाम देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। इस बीच कोरोना के नए स्वरूपों को लेकर अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक नए और बेहद खतरनाक वैरिएंट (very dangerous variant) के बारे में लोगों को आगाह किया है। शोधकर्ताओं ने पिछले दिनों संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of america) में कोरोना के एक नए वैरिएंट R.1 की पहचान की है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि फिलहाल कोरोना के इस नए वैरिएंट के मामले काफी कम हैं, लेकिन लोगों को इससे विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। जिस तरह से इस वैरिएंट की प्रकृति देखने को मिली है, उस आधार पर माना जा रहा है कि यह काफी संक्रामक हो सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में कोरोना के इस नए वैरिएंट R.1 के बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है कोरोना का नया वैरिएंट R.1
रिपोर्टस के मुताबिक कोरोना का वैरिएंट R.1 कोई नया वैरिएंट नहीं है। पिछले साल सबसे पहले जापान में इस वैरिएंट की पहचान की गई थी, उसके बाद से यह वैरिएंट अब दुनिया के अन्य देशों में बढ़ रहा है। अब तक संयुक्त राज्य अमेरिका सहित लगभग 35 देशों में इसके मामले देखे जा चुके हैं। नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 10,000 से अधिक लोग इस वैरिएंट के शिकार हो चुके हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने साप्ताहिक रिपोर्ट में बताया कि कोरोना का यह वैरिएंट खतरनाक हो सकता है, हालांकि जिन लोगों का टीकाकरण हो चुका है उनमें इसका कम असर देखा गया है।
नए वैरिएंट को कितना संक्रामक मान रहे हैं वैज्ञानिक?
वैरिएंट के बारे में अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि R.1, सार्स-सीओवी-2 वायरस का नया वैरिएंट है जिसमें कुछ म्यूटेशन देखे गए हैं। दूसरे शब्दों में समझें तो किसी भी नए स्ट्रेन की तरह R.1 भी मूल कोरोना वायरस की तुलना में लोगों को अलग तरह से प्रभावित कर सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक इस वैरिएंट की प्रकृति को देखते हुए इसे काफी संक्रामक माना जा रहा है, फिलहाल इस बारे में जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है। सीडीसी ने अभी तक इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न या इंटररेस्ट के रूप में वर्गीकृत नहीं किया है।
क्या यह भी एंटीबॉडीज को कर सकता है बेअसर?
पिछले कुछ महीनों में सामने आए कोरोना के ज्यादातर वैरिएंट्स में ऐसे म्यूटेशन देखे गए हैं जो आसानी से शरीर में वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज को बेअसर कर सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोई वैरिएंट वैक्सीन सुरक्षा से बच सकता है या नहीं, यह उसमें मौजूद म्यूटेशन के सेट पर निर्भर करता है। R.1 वैरिएंट को लेकर किए गए अब तक के अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह भी शरीर में वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को आसानी से मात देने की क्षमता रखता है। हालांकि इस बारे में जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
क्या इससे संक्रमित लोगों में अलग लक्षण हो सकते हैं?
शोधकर्ताओं का कहना है कि R.1 वैरिएंट के लक्षणों के बारे में जानने के लिए अध्ययन किया जा रहा है, हालांकि इससे संक्रमित रह चुके ज्यादातर लोगों में भी वैसे ही लक्षण देखे गए हैं, जैसे कोरोना के अन्य वैरिएंट्स से संक्रमण में होते रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल इस तरह के नए वैरिएंट्स से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीनेशन करा लेना चाहिए। भले ही नए वैरिएंट्स वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को चकमा दे सकते हैं लेकिन वैक्सीनों को गंभीर संक्रमण के खतरे से बचाने में असरदार पाया गया है।
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