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तालिबान को एक और झटका, खाली खजाने से बढ़ेगा संकट

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बाद अब वर्ल्ड बैंक ने अफगानिस्तान की तमाम परियोजनाओं के लिए दी जाने वाली फंडिंग रोक दी है. वर्ल्ड बैंक ने अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि इस बदलाव से देश के विकास और महिलाओं की जिंदगी पर असर पड़ेगा. आर्थिक मोर्चे पर तालिबान के लिए ये एक बड़ा झटका है.

बाइडन प्रशासन ने पहले ही अमेरिका में अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक की संपत्तियों को फ्रीज कर दिया है. वर्ल्ड बैंक के प्रवक्ता ने बीबीसी से बातचीत में कहा, हमने अफगानिस्तान में फंडिंग को फिलहाल रोक दिया है. हम वहां के हालात पर करीबी से नजर बनाए हुए हैं और अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं के तहत स्थिति का मूल्यांकन कर रहे हैं. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अपने सहयोगियों से संपर्क में भी हैं.

हम एक साथ मिलकर अफगानिस्तान के लोगों की मदद और वहां विकास जारी रखने के रास्ते तलाश कर रहे हैं. साल 2002 से वर्ल्ड बैंक ने अफगानिस्तान में विकास की परियोजनाओं के लिए 5.3 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद की है. वर्ल्ड बैंक ने शुक्रवार को बताया कि काबुल से उनकी टीम और उनके परिजनों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकाल लिया गया है.


वर्ल्ड बैंक का ये कदम तालिबान की नई सरकार के लिए पिछले एक हफ्ते के भीतर दूसरा बड़ा झटका है. पिछले हफ्ते आईएमएफ ने भी अफगानिस्तान को दी जाने वाली फंडिंग पर रोक लगाने का ऐलान किया था. आईएमएफ के प्रवक्ता ने कहा था कि तालिबान के शासन को मान्यता देने को लेकर अभी अंतरराष्ट्रीय समुदाय में स्पष्टता नहीं है. तालिबान ने भले ही अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है, लेकिन उसे देश के अधिकांश मौद्रिक भंडार और संपत्ति तक पहुंचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

अफ़ग़ान के केंद्रीय बैंक, द अफ़ग़ानिस्तान बैंक (डीएबी) के पास पिछले सप्ताह तक लगभग करीब 10 अरब डॉलर की संपत्ति थी. हालांकि, इनमें से अधिकतर संपत्तियां अफगानिस्तान से बाहर हैं, जो अभी तालिबान की पहुंच में नहीं हैं. अफगानिस्तान की कुल मौद्रिक संपत्ति में से मामूली सी नकद राशि अफगानिस्तान में पड़ी हुई है. तालिबान के कब्जे से पहले ही काबुल छोड़ चुके डीएबी के कार्यवाहक गवर्नर अजमल अहमदी ने इसकी पुष्टि की थी.

डीएबी के कार्यवाहक गवर्नर अहमदी ने बताया कि सुरक्षा स्थिति बिगड़ने के बाद अमेरिकी डॉलर की खेप नहीं पहुंची और इस वजह से अफगानिस्तान केंद्रीय बैंक में नकदी नहीं के बराबर है. तालिबान के कब्जे के डर से अमेरिका सहित अधिकांश देशों ने बीते दिनों अफगानिस्तान को नकदी भेजना बंद कर दिया था. अहमदी ने ट्वीट में कहा कि तालिबान ने सैन्य बल के दम पर जीत तो हासिल कर ली लेकिन सरकार चलाना इतना आसान काम नहीं है.


अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, अप्रैल तक अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक के पास 9.4 अरब डॉलर की आरक्षित संपत्ति थी. यह देश की सलाना कमाई का तकरीबन एक तिहाई है. द वॉशिंगटन पोस्ट ने इस मामले से परिचित सूत्र के हवाले से लिखा कि अफगान सरकार के अरबों डॉलर अमेरिका में रखे हैं. आम तौर पर विकासशील देशों के केंद्रीय बैंक अक्सर अपनी संपत्ति को फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ न्यूयॉर्क (FRBNY) या बैंक ऑफ इंग्लैंड जैसे संस्थानों के पास रखते हैं.

अफगानिस्तान केंद्रीय बैंक के स्टेटमेंट के मुताबिक, उसके पास 6.1 अरब डॉलर का निवेश है जिसका बड़ा हिस्सा अमेरिका से किया गया है. अफगानिस्तान आने वाले समय में आर्थिक संकट से घिर सकता है, क्योंकि मौजूदा हालात के बीच अनिश्चितता बनी हुई है. फंड तक पहुंच नहीं होने के कारण अफगानिस्तान में नकद लगभग शून्य है और अमेरिकी ट्रेजरी की हरी झंडी के बिना मुमकिन नहीं है कि फंड मुहैया कराने वाली अन्य संस्थाएं तालिबान का समर्थन करें.

अफगानिस्तान अब भी सरकार चलाने के तौर-तरीकों पर चर्चा चल रही है. आर्थिक संकट के बीच तालिबान ने हाजी मोहम्मद इदरीस को केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी सौंपी है. वह लंबे वक्त तक तालिबानी नेता रहे मुल्ला अख्तर मंसूर तालिबानी नेता रहे मुल्ला अख्तर मंसूर की आर्थिक गतिविधियां संभालता रहा है. हालांकि, उसके पास कोई डिग्री नहीं है. तालिबान का कहना है कि हाजी के पास भले ही डिग्रियां नहीं हैं लेकिन उनके पास आर्थिक मामलों का शानदार अनुभव है.

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