नई दिल्ली: हरियाणा (Haryana) विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) को हार मिली है. अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के लिए एक और बुरी खबर आई है. हरियाणा में आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन न होने का नतीजा कांग्रेस ने देख लिया. अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी हरियाणा हार का असर दिख सकता है. हरियाणा में गठबंधन न करने का बदला आम आदमी पार्टी अब कांग्रेस से दिल्ली में लेगी. आम आदमी पार्टी ने साफ कह दिया है कि दिल्ली चुनाव में वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी. उसका कहना है कि दिल्ली चुनाव (Delhi Election) में पार्टी अकेले ही चुनावी मैदान में उतरेगी.
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने बुधवार को कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी. कक्कड़ ने कहा, ‘हम दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे. एक तरफ अति आत्मविश्वासी कांग्रेस है और दूसरी तरफ अहंकारी भारतीय जनता पार्टी है. हम अपना सिर नीचे रखेंगे और पिछले 10 सालों में किए गए अपने काम को खुद बोलने देंगे.
इससे पहले आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि हरियाणा चुनाव के नतीजों से मिली सबसे बड़ी सीख यह है कि कभी भी अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए और उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए कड़ी मेहनत करने का आग्रह किया. अरविंद केजरीवाल ने निगम पार्षदों को संबोधित करते हुए कहा, ‘चुनाव नजदीक आ रहे हैं. चुनावों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. आज के चुनाव से मिली सबसे बड़ी सीख यह है कि कभी भी अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए. हर चुनाव, हर सीट मुश्किल होती है.’
दरअसल, आम आदमी पार्टी का आरोप है कि हरियाणा में वह कांग्रेस के साथ गठबंधन चाहती थी, मगर कांग्रेस ने ही ऐसा नहीं किया. सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी गठबंधन के पक्ष में थे, मगर भूपेंद्र हुड्डा की वजह से आम आदमी पार्टी का कांग्रेस का साथ गठबंधन नहीं हो पाया. इसका नतीजा यह हुआ कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी जीतते-जीतते हार गई. अगर गठबंधन होता तो शायद तस्वीर कुछ और होती.
दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2025 की शुरुआत में होने की उम्मीद है. 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं और भाजपा ने आठ सीटों पर जीत का परचम लहराया था. दिल्ली की तरह महाराष्ट्र में भी कांग्रेस की राह आसान नहीं होने वाली है. वहां कांग्रेस, उद्धव वाली शिवसेना और शरद पवार वाली एनसीपी के साथ है. हरियाणा हार के बाद ऐसे में कांग्रेस पार्टी अब सीटों को लेकर तोलमोल करने की स्थिति में नहीं रह पाएगी.
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